Mumbai : मशहूर बिजनेसमैन और दुनिया के टॉप अमीरों में शुमार गौतम अडानी या उनके परिवार के किसी भी सदस्य को राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है. जान लें कि पिछले कुछ दिनों से एक खबर सुर्खियों में है कि गौतम अडानी या उनकी पत्नी डॉ प्रीति अडानी को राज्यसभा सांसद बनाया जा सकता है. इस खबर को लेकर अडानी ग्रुप ने सफाई पेश की है. ग्रुप ने कहा है कि अडानी परिवार के किसी भी सदस्य की राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है.
Media Statement on false news about Rajya Sabha Seat pic.twitter.com/GK4y3uIWGL
— Adani Group (@AdaniOnline) May 14, 2022
अपनी सफाई में अडानी ग्रुप ने कहा है कि समूह गौतम अडानी और डॉ. प्रीति अडानी को राज्यसभा भेजे जाने की खबरों के बारे में जानता है. यह खबरें पूरी तरह से गलत हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के जरिए दूसरे लोग अपने इंट्रेस्ट के लिए हमारा नाम खराब कर रहे हैं. गौतम अडानी, डॉ. प्रीति अडानी और अडानी परिवार का कोई भी सदस्य किसी राजनीतिक पार्टी को ज्वाइन करने नहीं जा रहा है. यह खबरें पूरी तरह से गलत हैं.
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अडानी ने वॉरेन बफेट को पीछे छोड़ा
अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी 25 अप्रैल को दुनिया के सबसे अमीर लोगों की फोर्ब्स (Forbes) की लिस्ट में पांचवें स्थान पर पहुंच गये थे. अडानी की कुल नेट वर्थ 123.1 अरब डॉलर आंकी गयी थी. उन्होंने Berkshire Hathaway के वॉरेन बफेट को पीछे छोड़ते हुए यह स्थान हासिल किया था. बफेट 121.7 अरब डॉलर की कुल अनुमानित नेट वर्थ के साथ छठे स्थान पर खिसक गये थे.
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5 लाख से खड़ा किया अरबों का साम्राज्य
खबरों के अनुसार अडानी ने कारोबार की शुरुआत महज 5 लाख रुपये की कंपनी से की थी. धीरे-धीरे उन्होंने विशाल साम्राज्य खड़ा कर दिया. अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी की इस बेमिसाल सफलता के पीछे उनकी मेहनत, चतुराई, कुशलता, नेटवर्किंग जैसे गुण बताये जाते हैं. कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी न कर पाने वाले गौतम अडानी 16 साल की उम्र में मुंबई चले गये थे. वहां हीरे का कारोबार सीखा, वह 1981 में गुजरात लौट गये और अपने भाई की प्लास्टिक फैक्ट्री में काम करने लगे.
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मनमोहन सिंह ने भारत में आर्थिक उदारीकरण का रास्ता खोला
कारोबार जगत में उन्होंने पहला बड़ा कदम 1988 में रखा, जब उनकी पहली कंपनी अडानी एक्सपोर्ट्स की शुरुआत हुई. महज 5 लाख रुपये की पूंजी से शुरू हुई यही कंपनी बाद में अडानी एंटरप्राइजेज बनी. अडानी समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड को 1994 में शेयर बाजार में उतरने से बूस्ट मिला. जब 1991 में तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने भारत में आर्थिक उदारीकरण का रास्ता तैयार किया, तो इससे देश के कारोबार जगत में व्यापक बदलाव आया. इसके बाद कई नये कारोबारी घरानों को आगे बढ़ने का मौका मिला. इस बदलाव से न सिर्फ रिलायंस इंडस्ट्रीज को फायदा हुआ, बल्कि अडानी परिवार को भी मल्टीनेशनल और डायवर्सिफाइड बिजनेस खड़ा करने में सहायता मिली.