Nirsa : बीसीसीएल द्वारा चिरकुंडा नप क्षेत्र की झिलिया नदी में वर्ष 2018 आई बाढ़ से प्रभावित 137 लोगों को मुआवजा नहीं दिए जाने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कोल इंडिया के सचिव एवं मुख्य सचिव झारखंड को 15 मार्च 2022 को व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होने का निर्देश दिया है. आयोग ने मामले की सुनवाई करते हुए कोयला मंत्रालय के सचिव व झारखंड के मुख्य सचिव को जबाव देने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था. नप चिरकुंडा के उपाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह बाढ़ से प्रभावित लोगों को मुआवजा दिलाने को ले लगातार प्रयासरत हैं. उन्होंने बीसीसीएल की वादाखिलाफी पर आयोग से लिखित शिकायत 16 मार्च 2020 को की थी. श्री सिंह के आवेदन पर सुनवाई करते हुए आयोग ने 10 फरवरी 2022 को उपरोक्त निर्देश दिया है.
जानकारी के अनुसार डीसी धनबाद द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में भी कहा गया है कि 137 में प्रति परिवार 2.25 लाख रुपये मुआवजा देना था. लेकिन बीसीसीएल की वित्तीय स्थिति खराब रहने के कारण यह संभव नहीं हो सका. डीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि बीसीसीएल प्रभावित परिवार को मुआवजा देने में सिंसियर नहीं है. विदित हो कि 27 जुलाई 2018 को भारी बारिश के कारण झिलिया नदी में बाढ़ आई थी और बीसीसीएल सीवी एरिया द्वारा नदी को अवरुद्ध कर ट्रांसपोर्टिंग के लिए रास्ता बना देने के कारण पानी बहाव अवरुद्ध हो गया था. इसी कारण झिलिया नदी के पानी ने नप क्षेत्र में तबाही मचाई थी.
जिला प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद बीसीसीएल ने प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने पर सहमति जताई थी. तत्कालीन एपीएम की उपस्थिति में लायकडीह स्थित कैंप कार्यालय में नप अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सिटी मैनेजर व बीसीसीएल अधिकारी के बीच पहली वार्ता हुई थी, जिसमें बीसीसीएल ने सहमति जताई थी. नप उपाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह ने बताया कि उसके बाद कई दौर की बातचीत हुई और 137 प्रभावित परिवार को मुआवजा देने पर बीसीसीएल सहमत हुआ था, लेकिन लगभग साढ़े तीन वर्ष बाद भी मुआवजा नहीं देना उसकी वादाखिलाफी को दर्शाता है. कहा कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा जिस त्वरित गति और गंभीरतापूर्वक मामले की सुनवाई की जा रही है, उससे पीड़ित परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद है. कहा कि 15 मार्च को सुनवाई में वह स्वयं भी अपने अधिवक्ता के साथ आयोग के समक्ष उपस्थित होंगे.
यह भी पढ़ें : धनबाद : कुसुंडा कोल डंप में वर्चस्व को लेकर फायरिंग