- जेएसटी और कोयला रॉयल्टी बकाया सहित कई मुद्दे झारखंड सरकार उठाएगी
Ranchi : राष्ट्रीय नीति आयोग की बैठक 27 मई को दिल्ली में आयोजित की गयी है. इस बैठक में झारखंड से खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मुख्य सचिव सुखदेव सिंह शामिल होंगे. हालांकि सीएम को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पायी है. बैठक में झारखंड सरकार का बकाया, कोयला रॉयल्टी सहित कई मुद्दों को फिर से गंभीरता से रखा जाएगा. सात महीने पहले हुई नीति आयोग के उपाध्यक्ष के साथ बैठक में भी झारखंड की ओर से कई मुद्दों को उठाया गया था. मगर इसको लेकर अभी तक कोई पहल केंद्र सरकार ने नहीं की है. इसलिए यह बैठक काफी अहम मानी जा रही है.
इन मसलों को उठा सकती है झारखंड सरकार
- झारखंड सरकार की कई परियोजनाएं केंद्र सरकार के पास लंबित हैं. सरकार ने जल्द से जल्द इन परियोजनाओं पर सहमति की मांग की है, ताकि झारखंड के विकास की रफ्तार तेज हो सके.
- केंद्र सरकार से बकाया चुकाने की मांग की जाएगी. जीएसटी कंपनसेशन के रूप में 1880 करोड़ रुपये बकाया, कोयला कंपनियों द्वारा राज्य में 53 हजार एकड़ जमीन का इस्तेमाल के एवज में बतौर टैक्स आठ हजार करोड़ रुपये की मांग की जा सकती है.
- जल शक्ति मंत्रालय की कई परियोजनाओं का जिक्र किया जाएगा. स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना के साथ पाइप लाइन सिंचाई परियोजना, नमामी गंगा परियोजना शामिल हैं. स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना के लिए अतिरिक्त खर्च के रूप में 5000 करोड़ रुपये की मांग की जाएगी.
- जल संसाधन विभाग द्वारा पलामू पाइपलाइन सिंचाई परियोजना के लिए एआइबीपी के तहत 631 करोड़ रुपये की मांग सरकार करेगी. नॉर्थ कोयल नदी में 31।71 एमएलडी क्षमता का इनटेक वेल बनवाने, नमामी गंगा परियोजना के तहत दामोदर नदी को प्रदूषण मुक्त करने, रामगढ़ और धनबाद जिले का प्रस्ताव क्रमश: वर्ष 2019 और 2020 में भेजा गया है, पर अब तक स्वीकृति नहीं मिली है. इन मसलों को उठाया जा सकता है.
- ऐसी कई परियोजना हैं, जो केंद्र सरकार के पास लंबित हैं. रेल मंत्रालय के तहत विभिन्न स्थानों में बन रहे आरओबी निर्माण पर राज्य सरकार और रेलवे खर्च का आधा- आधा हिस्सा वहन करते हैं. राज्य सरकार को भूमि अधिग्रहण का भी खर्च वहन करना पड़ता है. राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण व यूटिलिटी शिफ्टिंग को लेकर भी बराबर खर्च करने का आग्रह किया जा सकता है.
- ग्रामीण विकास मंत्रालय की तरफ से झारखंड जियो टैगिंग में परेशानी हो रही है. जियो टैगिंग नहीं होने की वजह से ।5 लाख आवास सर्वे में शामिल नहीं हैं. वर्ष 2017 तक राज्य के 16 उग्रवाद प्रभावित (एलडब्ल्यूइ) जिलों को स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंस स्कीम में शामिल किया गया था. लेकिन वर्ष 2021-22 में इस योजना के तहत केवल आठ जिलों को ही शामिल किया गया है. राज्य सरकार इस मुद्दे को पुन: उठा सकती है.
- राज्य सरकार ने इसमें केंद्र से पांच वर्षों तक सभी 16 जिलों को इस योजना में शामिल करने की मांग की है. साथ ही फंड रिलीज करने की मांग भी रखी गयी है.
- एमएमडीआर एक्ट में कोयले के मूल्य का 14 प्रतिशत रॉयल्टी देने का प्रावधान है, लेकिन कोल इंडिया द्वारा कोयले के विक्रय मूल्य के आधार पर रॉयल्टी का भुगतान नहीं किया गया है. वास्ड कोल पर रॉयल्टी नहीं दी जा रही है. जिस कारण बकाया बढ़कर 22000 करोड़ रुपये हो गया है. लैंड यूज के तहत टैक्स का 8000 करोड़ रुपये इन कंपनियों पर बकाया है.