- वर्षा जल संरक्षण को लेकर गंभीर नहीं रहीं झारखंड की सरकारें – प्रदेश की 82 फीसदी खेती मॉनसून पर है निर्भर
Kaushal Kishore
Ranchi : झारखंड की लगभग 63 फीसदी ग्रामीण आबादी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से खेती पर निर्भर है. राज्य की 82 फीसदी खेती मॉनसून पर निर्भर है. इसके बावजूद राज्य गठन से लेकर अब तक किसी भी दल की सरकार ने वर्षा जल के संरक्षण को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई. यही वजह है कि अब तक वर्षा जल के संरक्षण की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो सकी है. इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. झारखंड में माॅनसून के दौरान सामान्यत: 1022 मिमी तक बारिश होती थी. मगर वर्ष 2021 से मॉनसून भी दगा दे रहा है. वर्ष 2022 में धान की खेती का मौसम बीतने के बाद सामान्य से 20 फीसदी कम (817.9 मिमी) बारिश हुई. इस बार सावन दो महीने का है. इस वर्ष भी प्रदेश में अब तक सामान्य से लगभग 64 फीसदी कम बारिश हुई. अगर इस मॉनसून सीजन में यह कमी पूरी नहीं हुई तो इस बार भी सूखे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता.
जल संरक्षण या खेती के पानी के लिए स्रोत
- आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में जल संरचना (खेती के लिए जल स्रोत) की संख्या 8,92,017 है. इसमें 2.40 लाख निजी-स्वामित्व और सरकारी तालाब हैं.
- उपलब्ध स्रोतों से सिर्फ 5 लाख हेक्टयर कृषि भूमि ही सिंचित हो सकती है. इनमें जल संचय करके सिर्फ 45 प्रतिशत ही खेती हो सकती है.
- आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, हर गांव में 28 जल संरचना हैं. मगर माॅनसूनी बारिश कम और गर्मी में ज्यादा होने के कारण ये खरीफ फसल के समय सूखे ही रह जाते हैं.
झारखंड की फैक्ट फाइल
- बारिश और पानी की कमी के कारण केवल 22.38 लाख हेक्टयेर में ही खेती हो पाती है.
- झारखंड की 92% खेती बारिश पर निर्भर है. इसमें 82% अकेले माॅनसून की बारिश पर निर्भर है.
- खरीफ सीजन (जून से सितंबर) में औसतन 1022.9 मिमी बारिश होती है. मगर 2021 से ही माॅनसूनी बारिश कम हो रही है. 2022 में 817.9 मिमी ही बारिश हुई. वह भी देरी से.
- वर्ष 2022 में पूरे वर्ष में 1044.2 मिमी बारिश हुई जो सामान्य से 14 प्रतिशत कम है.
- वर्ष 2001 से 2022 के बीच 14 साल राज्य में सूखा पड़ा.
खरीफ फसल को लेकर क्या कहती है आर्थिक सर्वे रिपोर्ट
- वित्तीय वर्ष 2021-22 में धान का उत्पादन 53,65,170 टन था. 2022-23 में 18,32,210 टन रहा. 299 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई.
- मक्के का उत्पादन 2021-22 में 6,06,430 टन था. 2022-23 में 4,35,870 टन रह गया.
22 साल में कब-कब पड़ा सूखा (आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार)
- 2001 : 11 जिलों में 57 प्रखंड सूखाग्रस्त
- 2002 : 24 जिले सूखाग्रस्त
- 2003 : 11 जिलों में 67 प्रखंड सूखाग्रस्त
- 2004 : 9 जिलों में सभी प्रखंड सूखाग्रस्त
- 2005 : 38 प्रखंड सूखाग्रस्त
- 2006 : बोकारो और पलामू के क्षेत्र सूखाग्रस्त
- 2008 : पलामू जिला सूखाग्रस्त
- 2009 : सभी जिले सूखाग्रस्त
- 2010 : सभी जिले सूखाग्रस्त
- 2015 : साहिबगंज छोड़ सभी जिले सूखाग्रस्त
- 2018 : 18 जिलों के 138 प्रखंड सूखाग्रस्त
- 2019 : 10 जिले सूखाग्रस्त
- 2022 : 22 जिलों के 226 प्रखंड सूखाग्रस्त
झारखंड में इस वर्ष अब तक 51% कम बारिश
झारखंड में मॉनसून सीजन एक जून से आंका जाता है. इस बार मॉनसून देरी से आया. 1 से 28 जून तक इस बार प्रदेश में 170.3 मिमी बारिश होनी चाहिए थी. मगर अब तक केवल 84.3 मिमी ही बारिश हुई है. यह सामान्य से 51 प्रतिशत कम है. सबसे अधिक बारिश सिमडेगा में 214.9 मिमी के मुकाबले 202.2 मिमी तथा सबसे कम गोड्डा जिले में 152.1 मिमी के मुकाबले 39.6 मिमी दर्ज की गई है.
जल संचय पर मनरेगा के 3000 करोड़ से अधिक हो चुके खर्च
झारखंड में वर्ष 2014 से लेकर 2022 तक मनरेगा के तहत जल संरक्षण के लिए 3000 करोड़ रुपये से भी अधिक की राशि खर्च की जा चुकी है. मगर फिर भी स्थिति नहीं सुधरी.
खर्च का ब्योरा (करोड़ रुपये में)
वर्ष – खर्च
2014-15 : 301
2015-16 : 409
2016-17 : 703
2017-18 : 158
2018-19 : 157
2019-20 : 233
2020-21 : 636
2021-22 : 622
सीएम हेमंत लॉन्च कर चुके हैं 500 करोड़ की योजना
गत वर्ष पड़े सूखे को देखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 23 जनवरी को जल संरक्षण के लिए 500 करोड़ रुपये की मेगा जल संरक्षण योजना लाॅन्च की थी. इसके तहत 2,133 तालाबों का जीर्णोद्धार करना था. साथ ही पूरे राज्य में पार्कलेशन टैंक निर्माण करना था.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
झारखंड में माॅनसून की बारिश थोड़ी कम हुई मगर अंत तक पर्याप्त बारिश हो जाती है. यहां संकट माॅनसून का दगा देना नहीं, भौगोलिक संरचना है. इसके कारण बारिश का 85 प्रतिशत पानी बेकार बहकर नदी के जरिए समुद्र में चला जाता है. ऊपर से ग्राउंड वाटर का अंधाधुंध दोहन. झारखंड सरकार और यहां के लोग जिस दिन खेत के पानी को खेत में और बरसाती नदी के पानी को बेकार बहने से रोक लेंगे, उस दिन झारखंड पानी के मामले में पूरी तरह से समृद्ध हो जाएगा. हमने अपना सुझाव मुख्यमंत्री को सौंप दिया है. -राजेंद्र सिंह, जल पुरुष
झारखंड समेत 12 राज्यों में सूखे की आहट
- पर्याप्त बारिश न होने से प्रभावित हो रही खरीफ फसलों की बुआई
- विभिन्न राज्यों में 47 से 82 प्रतिशत तक कम हुई बारिश
Shruti Singh
देश में मॉनसून आए हुए लगभग तीन सप्ताह पूरे होने को हैं. एमडीआई के अनुसार, देश के विभिन्न राज्यों में 47 से 82 फीसदी कम बारिश हुई है. इस कारण झारखंड सहित 12 डिवीजनों में सूखे की आशंका बढ़ गई है. साथ ही खरीफ फसलों की बुआई में भी देरी हो रही है. झारखंड के लिए यह स्थिति ज्यादा चिंताजनक है. यहां की 82 प्रतिशत कृषि मॉनसूनी बारिश पर ही निर्भर है. अगर कम बारिश हुई तो मिट्टी में रबी की फसल के लिए भी पर्याप्त नमी नहीं मिल पाएगी. रबी की फसल की बुआई नवंबर-दिसंबर में होती है.
मौसम विभाग के मुताबिक इस साल मॉनसून की अनियमितता चिंताजनक है. हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, गुजरात, राजस्थान जैसे कुछ राज्यों में भारी बारिश हो रही है जबकि देश के आधे हिस्से में सामान्य से बहुत कम. यह स्थिति चिंताजनक है. पहले ऐसी स्थिति नहीं देखी गई.
कहां कितनी कम बारिश (प्रतिशत में)
डिवीजन – बारिश
- झारखंड – 51
- बिहार – 78
- पूर्वी यूपी – 56
- मराठावाड़ा – 82
- मध्य महाराष्ट्र – 73
- विदर्भ – 68
- तेलंगना – 55
- तटीय कर्नाटक – 58
- केरल – 64
- प. बंगाल – 61
- पू. मध्य प्रदेश – 47