Ranchi: 1932 का खतियान आधारित स्थानीय नीति वाला विधेयक राजभवन से वापस लौट गया है. भाजपा ने इस नीति का सदन से सड़क तक विरोध किया था. लेकिन विधेयक के राजभवन से लौटने के बाद भाजपा के सभी बड़े नेता मौन हैं. विधेयक के वापस होने का श्रेय लेने की बात तो दूर, कोई कुछ बोल ही नहीं रहा. प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी का इसपर अभी कोई आधिकारिक बयान भी नहीं आया है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ताओं से पूछने पर जवाब मिलाः नो-कमेंट. अभी हमलोग वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं. पार्टी के नेता बताते हैं पहले प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और बाबूलाल मरांडी बोलेंगे. उसके बाद प्रवक्ता बोलेंगे. संभवतः उन्हें निर्देश दिया जाएगा कि मीडिया में क्या और कितना बोलना है. हालांकि एक प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा इसपर प्रतिक्रिया दे चुके हैं.
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प्रतिक्रिया मांगने पर प्रवक्ताओं ने क्या कहा
अविनेश सिंह- मेरा बोलना ठीक नहीं रहेगा. आज जिस प्रवक्ता की ड्यूटी है, उनसे ही प्रतिक्रिया ले लिया जाए. वैसे भी आज शादी-ब्याह वाले कार्यक्रम में व्यस्त हैं. आज भर छोड़ दीजिए.
अमित सिंह – अध्यक्ष जी तो इसपर बात रख ही दिये हैं. वैसे भी अभी हम रांची में नहीं हैं. रातू में हैं लौटते हैं तो बात करेंगे.
सरोज सिंह- अभी एक जगह कुछ लोगों के साथ बैठे हुए हैं. 10 मिनट में फोन करते हैं, लेकिन एक घंटे बाद भी उनका फोन नहीं आया.
कुणाल षाडंगी- 1932 के खतियान का मामला है. यह काफी संवेदनशील मुद्दा है.
प्रदीप सिन्हा – जनता को बिना लाभ दिये, क्रेडिट लेना चाहती थी सरकार
प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने विधेयक वापस होने के बाद रविवार को ही इसपर पार्टी की ओर से टिप्पणी दे दी थी. सोमवार को भी वे उसी बयान पर कायम रहे. कहा कि राजभवन ने माना है कि विधेयक में सरकार की मंशा स्पष्ट नहीं दिख रही है. विधि विभाग ने भी सरकार को सलाह दी थी, कि विधेयक संविधान सम्मत नहीं है. इसके बावजूद सरकार जिद पर अड़ी थी. सरकार की मंशा लोगों को बेवकूफ बनाने की थी. सरकार लोगों को इसका लाभ भी नहीं देना चाहती थी और क्रेडिट भी लेना चाहती थी. उनकी पोल-पट्टी खुल गई है. सरकार का अगला कदम क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी.
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