New Delhi : संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है. सत्र का हर दिन हंगामेदार ही बीत रहा है.ऐसे में कृषि कानून वापसी बिल पर चर्चा कराने की मांग विपक्ष की ओर से लगातार उठा रही है. साथ ही मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने किसान आंदोलन में मारे गये किसानों के परिवार को मुआवजे की भी मांग की थी.
इसपर कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में लिखित जवाब देकर कहा है कि कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन में किसी भी किसान की मौत नहीं हुई है. साथ ही नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि कृषि मंत्रालय में ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है, जिसमें ये कहा जाए कि किसान आंदोलन से ही किसानों की मौत हुई है. ऐसे में मृतक किसानों के परिवार को मुआवजा देने का कोई सवाल ही नहीं उठता है.
यहां बता दें कि सरकार से लोकसभा में सवाल किया गया था कि किसान आंदोलन के दौरान कितने किसानों की मौत हुई, इसका कोई डाटा क्या सरकार के पास मौजूद है. साथ ही सवाल ये भी था कि किसान आंदोलन में जिन किसानों की मौत हुई है, क्या सरकार उनके परिजनों को मुआवजा देगी. यदि ऐसा है तो सरकार इसकी विस्तृत जानकारी दे,औरऐसा नहीं हो तो सरकार इसकी वजह भी बताए.
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बिल पर चर्चा कराने की मांग पर अड़ा था विपक्ष
यहां बता दें कि 29 नवंबर से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन तीनों कृषि कानून वापसी बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास हो गया था. जिसे किसानों की जीत के तौर पर देखा जा रहा था. सत्र शुरू होते ही लोकसभा में वापसी बिल पास किया गया. पहले लोकसभा में कृषि कानून वापसी बिल पास होने के बाद राज्यसभा में भी पास हो गया. हालांकि विपक्ष इसपर लगातार चर्चा कराने की मांग पर अड़ा था. सरकार का कहना था कि जब पीएम खुद सपर माफी मांग चुके हैं तो चर्चा किस बात की.
सत्र से पहले पीएम ने दिया सुझाव
सत्र शुरू होने से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा था कि संसद का ये सत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है. कहा कि देश इस समय आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. देश की चारों दिशाओं में अमृत महोत्सव से बना रचनात्मक, सकारात्मक, जनहित के साथ राष्ट्रहित के लिए नागरिक कई तरह से कार्यक्रम कर रहे हैं. साथ ही इसके लिए कदम भी उठा रहे हैं.
पीएम ने कहा कि पिछले दिनों संविधान दिवस को भी नए संकल्प के साथ मनाया. भारत के संसद का ये सत्र आगे भी आजादी के अमृत महोत्सव का जो स्पिरिट है, उसके अनुसार ही संसद में भी देश में चर्चा करें. साथ ही पीएम ने कहा कि देश की प्रगति के लिए लोग रास्ता खोजें.
पीएम ने कहा कि मैं आशा करता हूं कि भविष्य में संसद को कैसा चलाया जाए, इसमें कितना अच्छा योगदान किया, इनसब को तराजू पर तौला जाए ना कि इसपर ध्यान दिया जाए कि किसने कितना जोर लगाकर संसद के सत्र को रोक दिया. मानदंड कतो ये होगा कि संसद में कितना सकारात्मक काम किया गया.
इससे आगे पीएम ने कहा कि सरकार हर विषय पर खुली चर्चा के लिए तैयार है. हर सवाल के जवाब के लिए भी तैयार है. साथ ही कहा कि अमृत महोत्सव में हम ये चाहेंगे कि संसद में सवाल भी हों और साथ ही शांति भी बनी रहे. संसद और स्पीकर की गरिमा को ध्यान में रखकर आचरण करें ताकि युवा पीढ़ी के ये काम आए.
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