Girish Malviya
कल खबर आयी है कि सरकार किसानों को 12 अंकों की यूनिक आईडी जारी करने जा रही है. सरकारी अधिकारी कह रहे हैं कि हमने विशेष किसान आईडी बनाना शुरू कर दिया है और एक बार जब हम 8 करोड़ किसानों के डेटाबेस के साथ तैयार हो जाएंगे, तब हम इसे लांच करेंगे.
ध्यान दीजिएगा कि इस कुल डेढ़ साल के कोरोना काल में मोदी सरकार ने कितनी सारी अलग-अलग ID बनाने की स्कीम लांच की है!
शुरुआत करते हैं हेल्थ आईडी से. सबसे पहले ये यूनिक हेल्थ आईडी लाए. जिसे वैक्सीन लगवाने के साथ ही जेनरेट किया जा रहा है. इसके साथ ही वैक्सीन का डिजिटल सर्टिफिकेट भी लांच किया गया. मरीज का पूरा मेडिकल रिकॉर्ड इस हेल्थ आईडी कार्ड में स्टोर होगा.
उसके बाद यह स्वामित्व योजना लेकर के आए. जिसके अंतर्गत गांवों में आवासीय संपत्ति को अलग से मार्क किया जा रहा है. दरअसल, गांवों में खेती की जमीन की तो खसरा खतौनी उपलब्ध है. लेकिन आवासीय संपत्ति का रिकॉर्ड नहीं है. इसलिए केंद्र सरकार की ओर से ‘स्वामित्व स्कीम’ की शुरुआत की गई. इसमें गांवों में ड्रोन से मैपिंग की जाती है.
फिर पिछले महीने यह श्रमिक आईडी लेकर के आए हैं. जिसके अंतर्गत केंद्रीय श्रम विभाग असंगठित क्षेत्र के करीब 38 करोड़ मजदूरों के लिए 12 अंकों का यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) और ई-श्रम कार्ड जारी करेगा, जो पूरे देश में मान्य होगा.
इसके अलावा कुछ दिन पहले ही सरकार ने पेंशन पाने वालों के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट जमा करने की बाध्यता लागू कर दी है. एक अक्टूबर, 2021 से पेंशन का नया नियम लागू होने जा रहा है. पेंशनर्स के लिये इस नियम को मानना बेहद जरूरी होगा. अब डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट (Digital Life Certificate) देश के सभी हेड पोस्ट ऑफिस के जीवन प्रमाण सेंटर यानी कि JPC में जमा कराए जा सकेंगे.
यानी पहले यूनिक हेल्थ आईडी, उसके बाद स्वामित्व कार्ड, फिर श्रमिक आईडी, फिर पेंशनर्स के लिए डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट और अब यह नया किसान आईडी.
एक बात बताएंगे कि इन सब की जरूरत क्या है, जब आधार कार्ड सभी का बना हुआ है. क्या आधार कार्ड पर ही किसान, श्रमिक की एंट्री नहीं डाली जा सकती थी?
दरअसल, सरकार को यह सारा डेटा उठाकर देशी विदेशी कंपनियों के हाथों करना है. ये सब नयी विश्व व्यवस्था new world order की तैयारी है. जिसके लिए हर आदमी का, उसके व्यवसाय से संबंधित, उसके स्वास्थ्य से संबंधित ऑथोराइज़्ड डेटा चाहिए.
5G के कारण दुनिया तेजी से बदलने वाली है. अब इंटरनेट ऑफ थिंग्स का जमाना आने वाला है. इसमें आर्टिफिशियल इंटलीजेंस अपने चरम पर होगा. मशीनें ही आपस में बात कर निर्णय ले सकने की क्षमता से लैस होंगी. किस आदमी को कहां भेजना है, वो क्या काम करने में सक्षम है, यह सब कुछ गिनी चुनी कंपनियां ही डिसाइड करेंगी. यह नए-नए आईडी उसी के लिए बनाए जा रहे हैं.
डिस्क्लेमर : ये लेखक के निजी विचार हैं.