Bengaluru : कर्नाटक के मंदिरों में अब सलाम आरती नहीं संध्या आरती होगी, यह फैसला हिंदुत्ववादी संगठनों की मांग पर लिया गया है. खबरों के अनुसार इन संगठनों ने राज्य सरकार से टीपू सुल्तान के नाम पर होने वाले अनुष्ठानों को खत्म करने की मांग की थी, जिसमें सलाम आरती भी शामिल थी. बता दें कि हिंदू मंदिरों की देखरेख करने वाले स्टेट अथॉरिटी मुजरई ने शनिवार को छह माह पुराने प्रस्ताव पर मुहर लगा दी.
The decision to rename ‘Salaam Aarati’ (rituals performed in the name of Mysore king Tipu Sultan in some temples) is correct. Where should it happen if the work to strengthen our culture isn’t undertaken at temples?: Karnataka Home Minister Araga Jnanendra pic.twitter.com/lplRHz5D38
— ANI (@ANI) December 11, 2022
इस मामले में आधिकारिक आदेश के बाद न केवल मेलकोट में बल्कि कर्नाटक के सभी मंदिरों में आरती सेवाओं का नाम बदल जायेगा. माना जाता है कि 18वीं शताब्दी में मैसूर शासक टीपू ने इन मंदिरों में अपनी यात्रा के समय आरती का नामकरण किया था.
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टीपू के शासनकाल से शाम 7 बजे सलाम आरती होती थी
जानकारी के अनुसार मेलकोट में ऐतिहासिक चालुवनारायण स्वामी मंदिर हैदर अली और उसके बेटे टीपू सुल्तान के शासनकाल से हर दिन शाम 7 बजे सलाम आरती (मशाल सलामी) होती थी. स्कॉलर और कर्नाटक धर्मिका परिषद के सदस्य कशेकोडि सूर्यनारायण भट ने इसका नाम बदलने की मांग की थी. भट ने कहा था कि सलाम शब्द हमारा नहीं टीपू का दिया हुआ है. इसके बाद मांड्या जिला प्रशासन ने यह प्रस्ताव हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग (मुजरई) के हवाले कर दिया था.
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मुजरई मंत्री शशिकला जोले ने बताया कि इन फारसी नामों को बदलने और मंगला आरती नमस्कार या आरती नमस्कार जैसे पारंपरिक संस्कृत नामों को बनाये रखने के प्रस्ताव आये थे. विश्व हिंदू परिषद की भी यही मांग थी. मंदिर के कार्यकारी अधिकारी का कहना था कि मंदिर के रिकॉर्ड में कहीं भी शाम की आरती का नाम सलाम मंगलाआरथी नहीं था.
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