प्रमोशन के बाद पदस्थापन नहीं होने से टूट रहा राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों का मनोबल
पदस्थापन नहीं होने तक प्रमोट किये गये पद के वेतन का भी नहीं मिलता लाभ
Praveen Kumar
Ranchi : राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में राज्य प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारियों की अहम भूमिका होती है. उनकी समयबद्ध प्रमोशन की बात की जाए तो उनका प्रमोशन तो हो जाता है, लेकिन पदस्थापन नहीं किया जाता है. उनके पद को प्रोन्नति वाले पद के रूप में उत्क्रमित कर दी जाती है. ऐसा ही मामला हजारीबाग के एडिशनल कलेक्टर रोशन कुमार का है. सरकार ने उन्हें अपर सचिव स्तर पर जुलाई 2022 में प्रमोशन दिया था, लेकिन अभी भी अपने पद से दो क्रम नीचे उप सचिव स्तर के पद पर काम कर रहे हैं. रोशन कुमार सितंबर 2021 से हजारीबाग में एडिशनल कलेक्टर के पद पर पदस्थापित हैं. शुभम संदेश ने उनके प्रमोशन के सवाल पर जानना चाहा तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया, लेकिन बातचीत के दौरान यह लगा कि वे मायूस हैं, लेकिन सरकारी नौकरी है, इसलिए खुलकर कुछ भी कहने से कतराते रहे. सरकार अगर समयबद्ध प्रोन्नति देती तो वे प्रमोट होकर अबतक आईएएस रैंक तक पहुंच जाते.
प्रोन्नति और प्रोन्नत पद पर पदस्थापन को लेकर सीएस का क्या था निर्देश
मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने प्रोन्नति और पदस्थापन को लेकर सभी विभाग और प्रमंडल आयुक्तों को, सभी विभागध्यक्ष, सचिव, प्रधान सचिव को नवंबर 2020 में एक पत्र भेजा था. उस पत्र के मुताबिक पद ग्रहण करने के बाद ही अधिकारियों को वित्तीय लाभ दिया जाएगा, लेकिन मुख्य सचिव के इस आदेश की अवहेलना करते हुए राज्य में प्रोन्नति के बाद पदों को ही उत्क्रमित कर दिया जा रहा है, जिससे अधिकारी मायूस हैं. झारखंड सेवा संहिता के नियम 58 और वित्त नियमावली के नियम 74 में किये गये प्रावधान के मुताबिक सरकारी सेवक अपने पद से संबद्ध वेतन और भत्ता उस तिथि से लेना शुरू करेंगे, जिस तिथि से वह उस पद पर कार्यभार ग्रहण करेंगे. स्पष्ट है कि प्रोन्नत पद के वेतनमान का वित्तीय लाभ भी प्रोन्नत पद पर पदस्थापन के बाद पदग्रहण की तिथि से प्राप्त होगा.
मायूस हैं राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी
राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों के प्रमोशन को लेकर प्रोन्नति समिति की अनुशंसा पर सक्षम प्राधिकार का अनुमोदन होने के बाद ही प्रोन्नति के आदेश निकाले जाते हैं. ऐसे में प्रोन्नति वाले पद पर पदस्थापन नहीं किए जाने पर सरकार द्वारा निकाले गये आदेश निरर्थक हो जाता है. प्रोन्नति और पदस्थापन का आदेश अलग-अलग समय पर निकाले जाने से भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिससे अधिकारियों को वित्तीय लाभ किस तारीख से मिलेगा यह भ्रम अक्सर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को लेकर बना रहता है. इसलिए जरूरी है कि राज्य प्रशासनिक सेवा के ऊर्जावान पदाधिकारियों के प्रमोशन के साथ-साथ पदस्थापन का आदेश एक साथ निकाला जाए.
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