Noamundi (Sandip Kumar Prasad) : सेल की गुवा खदान के महाप्रबंधक, सीआईएसएफ के सहायक समादेष्टा आदि की उपस्थिति व सहयोग से 18 नवंबर को गुवा खदान के मेन सबस्टेशन विभाग ने प्राकृतिक आपदा के दौरान लोगों की जान-माल की तत्काल रक्षा व सहायता कैसे उपलब्ध कराई जाये, इसकी जानकारी मौकड्रील कर दिया. मॉकड्रिल के दौरान प्राकृतिक आपदा की स्थिति में कैसे मैनेजमेंट करना है उसकी जानकारी देते हुये घटनास्थल पर इनसिडेंट कमांड पोस्ट, मेडिकल कैंप, कम्युनिकेशन सेंटर सह आपातकालीन संचार संसाधन केन्द्र, स्टेगिंग एरिया आदि का निर्माण कर कैसे मदद कार्य चलाना है उसकी विशेष जानकारी फ्रंट लाईन एजेंसी जैसे सीआईएसएफ, पुलिस, सेल अस्पताल टीम, खदान के सुरक्षा व आपातकालीन विभाग समेत सेल की गुवा खादान के सैकड़ों सेलकर्मियों को दी गई. मॉक ड्रिल को देखकर निश्चित हीं सैकड़ों लोगों को यह जानकारी मिली की वह ऐसी परिस्थिति में मौत के दहलीज पर पहुंचे लोगों को जरूरी प्राथमिक उपचार देकर उनकी जिंदगी बचा सकते हैं.
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परिवार से सहमति प्राप्त कर उपचार करें
मौक ड्रिल के दौरान विशेष जानकारी यह दी गयी की अगर किसी भी प्राकृतिक आपदा के दौरान कोई व्यक्ति अगर मृत स्थिति में दिखाई दे तो उसकी जीवन बचाने के लिए सीपीआर कैसे देना है. उसकी विशेष जानकारी देते हुये बताया गया की दुर्घटना के शिकार व्यक्ति के दोनों फेफड़ो के बीच का हिस्सा जहां समाप्त होता है उससे दो अंगुली उपर (दोनों निप्पल के बीच) में दोनों हथेली को आपस में जोड़ कर काफी तेज गती से दो मीनट के अन्दर तीस बार चेस्ट कम्प्रेशन करना है. चेस्ट कम्प्रेशन इतना दबाव के साथ करना है कि पांच से छः इंच अंदर तक दबाव बनें. इसके अलावे दो बार नाक अथवा मुंह में अपना मुंह से वेंटिलेशन देना है. चेस्ट कम्परेशन के दौरान अगर कोई रिब्स की हड्डी टूट भी जाती है तो वह बड़ा मामला नहीं है. यह कार्य करने से पहले पीड़ित व्यक्ति के परिवार से सहमति अवश्य प्राप्त कर लें अन्यथा वह आपके उपर बाद में गलत आरोप भी लगा सकता है.
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मैन और मैटेरियल का नुकसान कम हो – बिपलब दास
बच्चा अगर हो तो उसे चार सेन्टीमीटर तक चेस्ट कम्प्रेश हल्के हाथों से उतनी हीं बार दें. इस दौरान गुवा सेल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. सीके मंडल एवं डॉक्टर बिपलब दास ने बताया कि डिजास्टर आने के पहले हीं उससे बचाव हेतु हमें तमाम प्रकार की तैयारियां कर लेनी होती है ताकि मैन और मैटेरियल का नुकसान कम हो सके.इसी जागरुकता कार्यक्रम के तहत हमारी टीम यहां आयी है. यहां डिजास्टर आने से पहले क्या तैयारी रखनी है तथा आने के बाद क्या और कैसे विभिन्न स्टेक होल्डरों के बीच कोऑर्डिनेशन बनाकर रिस्पौंस करना है उसकी जानकारी दी गई. डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान और उससे जुड़ी जिम्मेदारी का दायित्व दिया जाये तथा समय-समय पर अभ्यास करते रहा जाये उसकी जानकारी दी गयी.
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जंगल में आग की घटना को रोकने की दी गई जानकारी
उन्होंने कहा कि खादानों में ब्लास्टिंग होती है जिससे नये-पुराने भवन में दरारें आने व बाद में गिरने से फंसे लोगों को बचाने, भू-स्खलन एंव सारंडा जंगल की आग की घटना को रोकने व उससे होने वाले नुकसान से बचाने आदि की जानकारी दी गई.उन्होंने कहा कि ऐसा प्रशिक्षण आने वाले समय में अन्य लोगों को भी दिया जायेगा. इस दौरान निरीक्षण करने आए चाईबासा डीजीएमएस अल्ताफ हुसैन अंसारी तथा विभिन्न खदानों से आए खान प्रबंधक तथा गुवा खादान के अधिकारियों ने कहा कि इस मॉकड्रिल से हमारे सेलकर्मियों को तकनीकी जानकारी मिली जिसका लाभ विकट स्थिति में मिलेगा. इसके अलावे सेल गुवा अस्पताल के डॉक्टर,सीआईएसएफ एंव सेल कर्मियों से बेहतर संबंध होने की वजह से इसका लाभ निरंतर मिलता रहेगा. इस दौरान निरीक्षण दल में आए डीजीएमएस चाईबासा के अल्ताफ हुसैन अंसारी, विभिन्न खदानों से आए माइंस प्रबंधक,सीआईएसएफ के उप कमांडेंट राकेश चंदन, इंस्पेक्टर एस के ठाकुर, गुवा के मुख्य महाप्रबंधक बीके गिरी, महाप्रबंधक सीबी कुमार, डॉ सीके मंडल, डॉक्टर बिपलब दास, सेलकर्मी मनोज मुखर्जी, एलबी बोबोंगा, शत्रुघ्न उपाध्याय, गौतम पाठक सहित अन्य मौजूद थे.
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