Chaibasa: पद्मावती जैन सरस्वती शिशु मंदिर नोवामुंडी में कक्षा नन्हीa दुनिया से उदय तक के अभिभावक बंधु व भगिनी हेतु शिशु वाटिका कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय की प्रधानाचार्या (गुरु मां) सीमा पालित एवं अभिभावक प्रतिनिधि पूनम देवी द्वारा दीप प्रज्वलन एवं भारत माता के चरणों में पुष्प अर्पण और माल्यार्पण कर संयुक्त रूप से किया गया.
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विद्या भारती की मौलिक शैक्षिक संस्कृति की जानकारी दी
कार्यशाला में ऑनलाइन माध्यम से जुड़े जमशेदपुर के विभाग प्रमुख पंकज कुमार मिश्र ने कार्यशाला की प्रस्तावना रखते हुए विद्या भारती की मौलिक शैक्षिक संस्कृति के महत्वपूर्ण आयाम को संस्कृत, संस्कृति और संस्कार के रूप में परिभाषित किया. शिशु के सार्वभौमिक विकास हेतु विद्यालय परिवार के साथ अभिभावक बंधु का सहयोग अति आवश्यक बताया.
शिशु के विकास में माता की अहम भूमिका
गुरु मां ने अपने संबोधन में बताया कि एक शिशु के विकास में माता की भूमिका अहम होती है. वर्तमान में नई शिक्षा नीति के तहत, खेल आधारित एवं थैला रहित शिक्षा मनोरंजक गतिविधियों पर आधारित है. इसके लिए अभिभावक बंधु भगिनी का स्वयं इस गतिविधियों में सहभागी बनना आवश्यक है. विद्यालय की शिशु वाटिका प्रमुख नेहा दीदी ने शिशु वाटिका की 12 व्यवस्थाओं पर आधारित शिक्षा व्यवस्था की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की. कार्यक्रम में कुल 25 अभिभावक बंधु भगिनी ने अपनी सहभागिता दर्ज की. धन्यवाद ज्ञापन दमयंती पाडेया द्वारा एवं शांति मंत्र सोनी मिश्रा द्वारा प्रस्तुत किया गया.
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