ए-वन, ए और बी श्रेणी के स्टेशनों पर है नल, सी श्रेणी के स्टेशन पर ध्यान नहीं, 24 साल से है जल संकट, कई जगहों पर लगे चापानल हो गए बेकार
Raja Gupta
Dhanbad : धनबाद रेल मंडल के 189 स्टेशनों में 107 स्टेशनों पर एक भी नल नहीं यानी वाटर बूथ तक नहीं है. जबकि रेलवे बोर्ड का सख्त निर्देश है कि भारतीय रेलवे के धनबाद समेत 74 रेल मंडल के सभी स्टेशन पर वाटर बूथ की व्यवस्था की जाए. इतना ही नहीं शीतल पेयजल नल का भी अलग से वाटर बूथ होना चाहिए, लेकिन रेलवे के अधिकारियों को यात्रियों की सुविधा से कोई लेना-देना नहीं रह गया है. यात्री सुविधा के नाम पर नेता हो या फिर अधिकारी, सिर्फ बड़े-बड़े दावे करते हैं. रेलवे में कई बार यात्री सुविधा व स्वच्छता अभियान को लेकर अधिकारियों की टीम धनबाद समेत कई स्टेशनों का दौरा करती है. यात्रियों से फिडबैक भी लेती है, लेकिन सबकुछ ढाक के तीन पात ही साबित होते हैं. रेलवे सूत्रों के अनुसार धनबाद हो या फिर अन्य रेल मंडल, सभी जगहों के अधिकारी ठेका कार्यों व अपनी सुविधा के साथ-साथ माल ढुलाई पर ध्यान देते हैं, ताकि खुद को रेलवे मुख्यालय की नजर में अव्वल साबित हो सके. यही हाल धनबाद रेल मंडल के अधिकारियों का है. धनबाद रेल मंडल के अधिकारी पिछले कई वर्षों से माल ढुलाई में सबसे अधिक कमाई कर नंबर वन बने हैं. जोनल मुख्यालय से लेकर रेलवे मुख्यालय दिल्ली तक जाकर ऑल ओवर चैंपियन का शील्ड लेते हैं.
धनबाद मुख्यालय है, लेकिन बगल से स्टेशन भूली व डोकरा में नल नहीं
यात्रियों का कहना है कि धनबाद रेल मंडल का मुख्यालय धनबाद है, लेकिन यहां के स्टेशन के बगल में पूर्व की ओर डोकरा और पश्चिम दिशा में भूली है. धनबाद स्टेशन के पड़ोसी स्टेशन होने के बावजूद दोनों जगहों पर एक भी नल तक नहीं है. शीतल पेयजल वाटर बूथ की व्यवस्था तो दूर की बात है. यात्री कहते हैं कि भीषण गर्मी में धूप में खड़े होकर ट्रेन पकड़ना पड़ता है. हाइ लेबल प्लेटफॉर्म तक नहीं है. शेड, शौचालय और बैठने के लिए लोहे या सीमेंटेड चेयर तक नहीं दी गई है. रेलवे के अधिकारी धनबाद रेल मंडल पूर्वी रेलवे कोलकाता से हाजीपुर जोनल मुख्यालय से जुड़ने के बाद आजतक झांकने तक नहीं आए हैं. मंडल या जोनल मुख्यालय के अधिकारी सिर्फ बड़े स्टेशनों का ही निरीक्षण करने आते हैं. छोटे स्टेशनों पर तभी आते हैं, जब कोई हादसा होता है. यात्री बताते हैं कि धनबाद स्टेशन पर आठ प्लेटफॉर्म है, जबकि सभी प्लेटफॉर्म पर लगे नलों में अधिकतर से पानी नहीं निकलता है. वाटर एटीएम भी लगभग बंद रहता है, जहां पांच रुपये लीटर पानी मिलता है. लोग दुकानों से ही मिनरल वाटर खरीद कर प्यास बुझाते हैं.
ट्रेन रुकते ही बोतल में पानी भरने के लिए दौड़ते रहते हैं यात्री
लोगों का कहना है कि जब छोटे स्टेशनों पर ट्रेनें रुकती है, तो यात्री खाली बोतल में पानी भरने के लिए प्लेटफॉर्म पर दौड़ते रहते हैं, लेकिन नल नहीं मिलता है. कहीं चापानल दिख गया तो वह भी खराब रहता है. इसी बीच ट्रेन खुल जाती है और यात्री दौड़कर कोच में चढ़ जाते हैं. फिर कुछ यात्री आपस में बात करते हैं कि यही हाल धनबाद रेल मंडल का, जो खुद को भारतीय रेलवे में नंबर वन का खिताब हासिल करती है. इस रेल मंडल में यात्रियों को बुनियादी सुविधा भी नसीब नहीं होती है. अगर देखा जाए तो सिर्फ ए-वन, ए और बी श्रेणी के स्टेशनों पर ही गिने-चुने नल है. बाकी सी श्रेणी के स्टेशनों पर नल या वाटर बूथ नहीं है. 24 साल से दर्जनों स्टेशनों पर जल संकट है, लेकिन अधिकारी जल संकट दूर करने नहीं आते हैं. रेलवे बोर्ड का आदेश फाइलों में कैद है. कई जगहों पर लगे चापानल भी बेकार हो गए हैं. धनबाद रेल मंडल के प्रधानखंता से मानपुर, धनबाद से चंद्रपुरा, गोमो से बरकाकाना, बरकाकाना से सिंगरौली, बरकाकाना से हजारीबाग टाउन, कोडरमा से महेशपुर के बीच छोटे-छोटे स्टेशनों पर भीषण गर्मी में जल संकट होने से यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है.
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