koderma : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से नहीं कराने को संविधान के खिलाफ बताया है. माकपा के राज्य सचिव मंडल सदस्य संजय पासवान ने कहा कि नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है. सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है. राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए, नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय न केवल एक गंभीर अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है.
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भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 में कहा गया है कि संघ के लिए एक संसद होगी, जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन जिन्हें क्रमशः राज्यों की परिषद और लोगों की सभा के रूप में माना जाएगा. राष्ट्रपति न केवल भारत में राष्ट्र के प्रमुख होते हैं, बल्कि संसद का अभिन्न अंग भी होते हैं. वह संसद को बुलाती है, सत्रावसान करती है और संबोधित करती है. संक्षेप में राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है, फिर भी प्रधानमंत्री ने उनके बिना संसद भवन उद्घाटन करने का निर्णय लिया है. यह सम्मान के साथ सबको साथ लेकर चलने की उस भावना को कमजोर करता है, जिसके तहत देश ने अपनी पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति का स्वागत किया था. इसलिए कांग्रेस, वाम दल, जेएमएम, राजद सहित 19 विपक्षी दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का सामूहिक निर्णय लिया है.
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