Ranchi : पेयजल और स्वच्छता विभाग के सेवानिवृत पूर्व अभियंता प्रमुख श्वेताभ कुमार रूक्का प्लांट के भीतर राइजिंग पाइप लाइन चैनल के निर्माण के एक वर्ष बाद क्षतिग्रस्त मामले में दोषी पाए गए हैं. उनकी पेंशन राशि दो वर्ष तक 10 प्रतिशत काटने का निर्देश दिया गया है. जांच समिति के प्रतिवेदन के आधार पर 15 मार्च 2022 को पेंशन नियमावली के नियम 139 के तहत श्वेताभ कुमार को दोषी पाते हुए कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया. यह पाया गया कि श्वेताभ कुमार ने गलत डिजाइन के आधार पर निर्माण कार्य की मजबूती और दृढ़ता होने की बातें कही. इस कमजोर निर्माण पर प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप, अधिक बारिश को नहीं झेल पाने के कारण क्षतिग्रस्त संपत्ति पर हुए खर्च निष्फल साबित हुए हैं. इसलिए इनसे सरकारी खर्च से संबंधित राशि की वसूली करने का फैसला दिया गया. 10 प्रतिशत राशि की कटौती इनका पेंशन से लगातार दो साल तक करने का दंड भी इन पर लगाया गया.
इसे भी पढ़ें – कॉट्रैक्टरों, बिल्डरों को अब स्थानीय मजदूरों से ही कराना होगा काम, हेमंत सरकार बनाने जा रही नियम
यह है मामला
रूक्का प्लांट के भीतर राइजिंग पाइप लाइन चैनल का निर्माण कराया गया था, जो एक वर्ष में ही क्षतिग्रस्त हो गया था. इसकी जांच विभाग के विशेष सचिव ने 21.4.2016 को की थी. जांच रिपोर्ट में निर्माण कार्य में अनुपयुक्त तकनीकी डिजाइन एवं निर्माण की तकनीकी स्वीकृति (टेक्निकल एप्रूवल) दिये जाने की बातें सामने आयी. निर्माण कार्य करानेवाले एवं इसकी मानिटरिंग करनेवाले अधिकारी व कर्मियों को इसके लिए जांच दल ने जिम्मेवार माना. सरकार के संयुक्त सचिव की तरफ से जारी आदेश के बाद खर्च हुई सरकारी राशि की वसूली को तत्काल प्रभाव से लागू किया गया.
संवेदक से स्पष्टीकरण की मांग की गयी थी
विभाग की तरफ से जांच रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद आरोपी पदाधिकारी और संवेदक (ठेकेदार) से स्पष्टीकरण की मांग की गयी. क्षेत्रीय मुख्य अभियंता रांची की अध्यक्षता में गठित समीक्षा समिति ने इसकी जांच की और 9 फरवरी 2022 को अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंपी. जांच समिति की रिपोर्ट में राइजिंग प्लांट की दीवार की डिजाइन में समिति द्वारा कई त्रुटियां होने की बात कही गयी. यह बताया गया कि डिजाइन का एप्रूवल तकनीकी स्वीकृति तत्कालीन अधीक्षण अभियंता श्वेताभ कुमार ने दी थी. अब वे अभियंता प्रमुख के पद से रिटायर हो गये हैं.
इसे भी पढ़ें – 23 मार्च को विधानसभा में हेमंत ने कहा था 1932 के खतियान पर स्थानीय नीति बनाना असंभव