Ranchi: मुझे जब सत्ता मिली, अचानक महामारी की वजह से ऐसा लगा जैसे सब थम गया है. झारखंड एक ऐसा राज्य है जहां 80 फीसदी लोग ग्रामीण इलाके में रहते हैं. रोज मेहनत करते है, तो ही भोजन खा पाते हैं. ऐसे में लॉकडाउन लगने से कितने घरों में चूल्हा बुझने लगा. मैं चाहता हूं कि राज्य के सभी बुजुर्गों, वृद्ध और विधवा को पेंशन मिले. सभी जरूरतमंदों को सरकारी राशन मिले. घर-घर बिजली पहुंचे. लेकिन मैं जब विभाग के अधिकारियों को इन मामलों पर बात करता हूं, तो वो बजट की बात करते हैं. कहते हैं कि ऐसा करने के लिए विभाग के पास पैसा नहीं है. पुरानी सरकार ने खाली खजाने की चाबी सौंपी है. हर विभाग पर करोड़ों का कर्ज है. अब इसी खाली खजाने से विभाग के कर्ज को भी तोड़ना है और कोरोना से लड़ते हुए विकास का रास्ता भी तलाशना है.
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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी सरकार के एक साल पूरा होने पर रांची के मोरहाबादी स्थित मैदान में विकास मेला में आये लोगों को संबोधित करते हुए बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़ाई हम जीत रहे हैं. वो भी बिना वेंटिलेटर वाले अस्पताल से. कहा कि रेल, सड़क और हवाई मार्ग से हमारी सरकार ने प्रवासी मजदूरों को झारखंड बुला तो लिया, लेकिन उनको भूखे नहीं छोड़ सकते थे. ऐसे में दीदी किचन के जरिये लोगों को मुफ्त खाना मिलना उस वक्त एक वरदान की तरह था. हमारे पास तो उस वक्त सरकारी कर्मियों को सैलरी देने के लिए राशि भी नहीं थी.
20 साल में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने पर चिंतन नहीं हुआ
सभा को संबोधित करते हुए सीएम हेमंत ने कहा कि विपक्ष आये दिन सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाता है. रोजगार और दूसरी चीजों को मुद्दा बनाती है. लेकिन उन्हें सोचना चाहिए कि जब उन्होंने हमें खजाना ही खाली करके दिया तो वादा कैसे पूरा किया जाये. कहा कि पैसा नहीं रहने की वजह से किसानों की कर्ज माफी में सरकार को एक साल लग गया. हेमंत ने कहा, अगर सरकार के पदाधिकारी ईमानदारी से मेरा साथ दें तो पांच साल के बाद झारखंड को किसी से भीक मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी. ना ही वर्ल्ड बैंक से और ना ही भारत सरकार से. राज्य बने 20 साल हो गये, लेकिन किसी ने राज्य को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में चिंतन नहीं किया. कहा कि जब राज्य अलग हुआ था, तो झारखंड का बजट सरप्लस था. लेकिन आज देश में सबसे पीछे खड़े हैं. कहीं ना कहीं बड़ी भूल हुई है, जिसकी सजा राज्य भुगत रहा है.
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कई राज्यों के पास खनिज नहीं फिर भी वे अग्रणी
मुख्यमंत्री ने कहा, ऐसा नहीं है कि कोई भी राज्य वहां की खनिज संपदा के ही दम पर आगे बढ़ता है. कई राज्य ऐसे हैं जहां कोयला, लौह अयस्क और दूसरे खनिज नहीं है. लेकिन वे राज्य आज काफी आगे हैं. झारखंड के पास खनिज के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य, खिलाड़ी और कला संस्कृति है. लेकिन झारखंड में खिलाड़ी हड़िया बेचने और मजदूरी करने को मजबूर हैं. हमारी सरकार ने 20 साल में पहली बार राज्य के हर जिले में खेल पदाधिकारी देने का काम किया है. खिलाड़ियों की सीधी नियुक्ति भी दी जायेगी. उनके लिए आरक्षण देने का काम भी विभाग की तरफ किया जा रहा है. कहा कि राज्य के विकास के लिए हमने अलग टूरिज्म पॉलिसी बनायी है. आने वालों दिनों में लाखों की संख्या में पर्यटक झारखंड आयेंगे. ऐसा काम किया जा रहा है. पलामू और गढ़वा जैसे जिलों में, जहां पहले दिन भर में दो घंटे बिजली रहती थी, अब नये ट्रांसमिशन की बदौलत 20 घंटे बिजली रहती है.
सीबीएसई एफिलिएटेड मॉडल स्कूल खुलेंगे
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने संबोधन में कहा कि राज्य भर में 5000 आदर्श विद्यालय खोले जाने पर सरकार विचार कर रही है. पहले चरण में हर जिले में सीबीएसई एफिलिएटेड इंग्लिश मॉडल स्कूल खोले जायेंगे. कहा कि हमारी सरकार ने देश पहली ऐसी योजना बनायी, जिससे अब विदेश में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को स्कॉरशिप मिलेगी. राज्य में जेपीएसई को लेकर कई सवाल उठाये जाते हैं. शुरू से ही जेपीएसई विवादों में रहा है. 20 साल बीत गये लेकिन जेपीएसई की परीक्षा नियमित रूप से नहीं ली गयी है. हमारी सरकार रोजगार को लेकर काफी सजग है. युवाओं को घबराने की जरूरत नहीं है. नयी नियमावली बनकर तैयार है. जनवरी के पहले हफ्ते में ही नया कैलेंडर तैयार हो जायेगा.
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खुलेगा ट्राइबल विश्वविद्यालय, अनुबंध कर्मियों का निकले रास्ता
सीएम हेमंत सोरेन ने आगे अपने संबोधन में कहा कि कई सालों से देखा जा रहा है कि राज्य में अनुबंधकर्मी अपने हक और अधिकार के लिए लड़ते रहते हैं. सरकार एक को सुझाने जाती है, तो दूसरा उलझ जाता है. मामला बिलकुल जलेबी की उलझ गया है. लेकिन हमारी सरकार ने मामले को सुलझाने के लिए एक कमेटी का गठन किया है. कमेटी अनुबंधकर्मियों का समाधान हमेशा के लिए सुलझ जाये, इसपर काम कर रही है. कहा कि हर सरकार राज्य में आदिवासी हित की बात करती है, लेकिन कसौटी पर खरा कोई नहीं उतरता. हमारी सरकार मार्च से पहले ट्राइबल यूनिवर्सिटी खोलने की दिशषा में काम कर रही है.
मनरेगा में बढ़ेगी मजदूरी, बनेगा प्रमाण पत्र
हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड में पलायन एक अहम मुद्दा है. मनरेगा इसे रोकने में सफल नहीं है. क्योंकि मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी काफी कम है. कहा कि हमारी सरकार पलायन रोकने के लिए मनरेगा की मजदूरी 194 से बढा कर 225 करने जा रही है. साथ ही कुछ ही दिनों में यह बढ़कर 300 रुपए कर दिया जाएगा. साल में गरीबों को दो बार कपड़ा देने के लिए सरकार की तरफ से धोती-कुर्ता और साड़ी योजना की शुरुआत की गयी है. कुपोषण दूर करने के लिए 250 करोड़ की लागत से बाड़ी योजना पर काम हो रहा है. पहले किसी भी तरह का प्रमाण पत्र बनाना काफी मुश्किल होता था. महीनों फाइल प्रखंड कार्यालय में पड़ी रहती थी. लेकिन अब अगर 15 दिनों के अंदर प्रमाण पत्र नहीं बना तो संबंधित अधिकारी को बर्खास्त कर दिया जाएगा.
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