Saurabh singh
Ranchi : कांके रोड में सीएम हाउस के सामने एक सड़क पुलिस लाइन की ओर जाती है. इसी सड़क के किनारे है उत्पाद भवन.झारखंड सरकार के आबकारी विभाग के दफ्तर के लिए भवन बनाया गया है. शानिवार सुबह नवनिर्मित उत्पाद भवन में मंत्रोच्चार के बीच हवन ( अनाज, घी आदि जो जन्म, विवाह और अन्य विशेष अवसरों पर पवित्र अग्नि को समर्पित की जाती है) अनुष्ठान चल रहा था. पूरे पुलिस लाइन इलाके का वातावरण वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच उठ रहे सुगंधित धुएं से सुगंधित हो गया. उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह सहित विभाग के अधिकारी और कर्मचारी हवन, पूजा-अर्चना की रस्मों में शामिल हुए. संयुक्त उत्पाद आयुक्त ने कहा- विभाग, राज्य के लोगों और सरकार की शांति और समृद्धि के लिए अनुष्ठान किया गया . सरकारी दफ्तर में पूजा-अर्चना के साथ हवन अनुष्ठान ने लोगों में उत्सुकता जगा दी. तरह-तरह की चर्चा होने लगी. चर्चा हाेने लगी कि कहीं यह हवन अनुष्ठान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को विभाग से दूर रखने, किसी भी संभावित जांच से बचने और नई उत्पाद नीति की सफलता की प्रार्थना के लिए तो नहीं किया गया था.
छुट्टी का दिन था, इसलिए कार्यालय में हवन कराया : संयुक्त आयुक्त
उत्पाद विभाग के संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह गजेंद्र सिंह ने पुष्टि दफ्तर में हवन-पूजन की पुष्टि की. कहा कि कार्यालय में हवन का आयोजन किया गया था. हम लंबे समय से हवन करने की योजना बना रहे थे. चूंकि आज छुट्टी का दिन था, इसलिए कार्यालय परिसर में आयोजन करने में कोई दिक्कत नहीं हुई. हालांकि, विभाग के एक अधिकारी ने दावा किया कि गजेंद्र सिंह एक संत के अनुयायी हैं और उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर हवन किया गया था. कार्यालय के अन्य कर्मचारी और अधिकारी भी उस संत के अनुयायी हैं, इसलिए, सभी हवन में शामिल हुए. लेकिन सहायक उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह ने इसे अटकलबाजी बताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि विभाग व राज्य के लोगों के साथ ही सरकार की शांति और समृद्धि के लिए सर्वशक्तिमान का आशीर्वाद लेने के उद्देश्य से हवन अनुष्ठान किया गया था. लेकिन विभाग के ही अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि ईडी का डर विभाग को सता रहा है और उसे विभाग से दूर रखने के लिए हवन किया गया था.
ईडी का आरोपी है पावर ब्रोकर व शराब कारोबार का खिलाड़ी प्रेम प्रकाश
ईडी फिलहाल उत्पाद नीति व शराब के कारोबार से संबंधित कोई मामला नहीं जांच रहा है. लेकिन हो सकता है कि जांच एजेंसी का अगला निशाना उत्पाद विभाग हो. झारखंड में अवैध खनन मामले में ईडी ने प्रेम प्रकाश को गिरफ्तार किया है, जो झारखंड में शराब कारोबार का एक बड़ा खिलाड़ी है. बताया जाता है कि वह इतना ताकतवर है कि उसके इशारे पर ही उत्पाद नीति में बदलाव हुआ और उसने फैसलों को प्रभावित किया. पता चला है कि उसने ईडी को एक वरिष्ठ नौकरशाह के बारे में काफी जानकारी दी है. इसके अलावा, उसने उत्पाद विभाग में अपने अन्य सगयोगियों के बारे में भी खुलासा किया है. ईडी ने प्रेम प्रकाश के बारे में बताया है कि उसने अपने सहयोगियों के नाम पर कई फर्म खोला और शराब के कारोबार में अवैध खनन से अर्जित अपराध की कमाई को खपाया है.
नई उत्पाद नीति भी विवादों में, बिक्री में भी गिरावट
दरअसल, नई उत्पाद नीति लागू किए जाने के बाद से ही विभाग शराब की बिक्री में भारी गिरावट की समस्या से भी जूझ रहा है. इस साल मई में जब सरकार ने उत्पाद नीति में बदलाव किया, तो विभाग ने दावा किया कि नई नीति से झारखंड का राजस्व बढ़ा है. हालांकि बाद में त्पाद विभाग के अधिकारियों के पत्राचार से खुलासा हुआ कि शराब कीबिक्री लक्ष्य से काफी कम हुई है और सरकार को राजस्व का भी नुकसान हुआ है. हालांकि उत्पाद विभाग के सचिव विनय चौबे ने दावा किया था कि उचित व्यवस्था नहीं होने के बावजूद पहले महीने की राजस्व वसूली बहुत बड़ी थी. उन्होंने बताया था कि यह इस बात का संकेत है कि नीति सही दिशा में है, क्योंकि सरकार ने शराब की बिक्री को अपने हाथ में ले लिया था.
उत्पाद नीति में दो दफा हुआ था संसोधन
झारखंड में उत्पाद नीति में दो बार संशोधन किया गया, क्योंकि यह नीति अपेक्षित परिणाम देने में विफल रही. इससे पहले वर्ष 2017 में शराब नीति में बदलाव किया गया था और उसी वर्ष मार्च में प्रभावी कर दिया गया था, लेकिन उस महीने का कुल राजस्व केवल 30 करोड़ रुपये था और आपूर्ति और मांग में अंतर के कारण पूरे राज्य में अराजकता की स्थिति थी. इसके अलावा, बिक्री को बढ़ावा देने के लिए कोई उचित तंत्र नहीं था. 2019 में सरकार ने फिर से उत्पाद नीति में बदलाव किया और कारोबार से हट गई. अब फिर जब सरकार ने शराब के कारोबार पर नियंत्रण कर लिया, तो बिक्री में भारी गिरावट आयी है.
विभाग का प्लेसमेंट एजेंसियों पर दबाव बढ़ा
उत्पाद विभाग बार-बार प्लेसमेंट एजेंसियों और विभागीय अधिकारियों से खुदरा दुकानों पर शराब की खरीद की मात्रा बढ़ाने के लिए कह रहा है, क्योंकि सरकार न्यूनतम गारंटी राजस्व (एमजीआर) प्राप्त करने में सक्षम नहीं है. झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) को बिक्री घटने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जेएसबीसीएल ने सुमित फैसिलिटीज, प्राइम वन वर्कफोर्स, ए टू जेड इंफ्रा सर्विसेज लिमिटेड, ईगल हंटर, मेसर्स दिशिता वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स ओम साईं बेवरेज प्राइवेट लिमिटेड को अपने साथ जोड़ा था.
उत्पाद भवन में ईडी को दफ्तर के लिए जगह आबंटित हुई, फिर रद्द कर दी गयी
उत्पाद विभाग को ईडी से दूरी बनाए रखने के लिए जाना जाता है. 25 अप्रैल, 2018 को तत्कालीन रघुवर दास सरकार ने नए उत्पाद भवन की चौथी मंजिल पर 5,000 वर्ग फुट का कार्यालय ईडी के लिए आबंटित कराया था. ईडी के तत्कालीन निदेशक करनाल सिंह ऑफिस के लिए जगह उपलब्ध कराने के लिए मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी को धन्यवाद देने के लिए व्यक्तिगत रूप से रांची आए थे, लेकिन कुछ ही महीनों बाद भवन निर्माण विभाग ने प्रशासनिक आधार पर आवंटन रद्द कर दिया. बताया जाता है कि ईडी दफ्तर के लिए वंबिटत जगह रद्द कराने में शराब कारोबार के सिंडिकेट की भूमिका थी. उस समय कहा गया था कि भवन में ईडी की मौजूदगी से विभाग के अधिकारियों को बड़ी असुविधा हो सकती है. बाद में ईडी दफ्तर के लिए धुर्वा के एक पुराने बड़े भवन में जगह देने की पेशकश की गयी थी, जिसे ईडी ने अस्वीकार कर दिया था.