Deepak Ambastha
भारत में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच झारखंड में कोरोना संक्रमितों की संख्या पिछले 13 दिनों में अप्रत्याशित रूप से बढ़ी है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी आंकड़ों पर नजर डालें तो यह स्पष्ट होता है कि राज्य कोरोना वायरस विस्फोट का सामना कर रहा है.
यदि राज्य में गत 13 दिनों का आंकड़ा ही लें तो 16 दिसंबर को यहां 132 एक्टिव केस थे, जो 28 दिसंबर को बढ़कर 608 हो गये. पिछले तीन दिनों का ही आंकड़ा लें तो पता चलता है कि हर दिन औसतन 52 लोग संक्रमित हो रहे हैं. यह वृद्धि दर चिंताजनक है. चिंता तब और बढ़ जाती है, जब ओमिक्रोन वायरस के प्रसार के विषय में जानकारी हासिल करने का राज्य के पास कोई संसाधन नहीं है. जिनोम सीक्वेंसिंग मशीन के माध्यम से यह पता लगाया जा सकता है कि मरीज पर किस वायरस का असर है और इस मामले में झारखंड को पड़ोसी राज्य उड़ीसा पर निर्भर रहना है, क्योंकि झारखंड में अभी तक जिनोम सीक्वेंसिंग मशीन नहीं लगायी जा सकी है. सरकार बार-बार जांच बढ़ाने की बात कह रही है, लेकिन यह भी देखने वाली बात है कि क्या ऐसा हो भी रहा है ? राज्य में इसके लिए भी सीमित सुविधाएं उपलब्ध हैं. फिर आम आदमी की जांच के प्रति उदासीनता अलग समस्या है, फिर जो जांच हो रही है, उससे पता ही नहीं चल सकता है कि झारखंड में कोई ओमिक्रोन से संक्रमित मरीज है या नहीं या फिर जिस रफ्तार से संक्रमण बढ़ रहा है, उसके पीछे वह ओमिक्रोन वायरस है या फिर कुछ और ? इस वजह से संक्रमित मरीजों का इलाज एक अनुमान पर ही किया जा रहा है ना कि किसी ठोस आधार पर. सरकार या आम जनता को यह स्पष्ट नहीं है कि क्या राज्य में ओमिक्रोन का प्रसार हो चुका है. स्वास्थ्य मंत्रालय बस अटकल अनुमान पर चल रहे हैं कि राज्य में ओमिक्रोन वायरस का प्रसार नहीं हुआ है, लेकिन ऐसी मान्यता का कोई ठोस वैज्ञानिक आधार नहीं है. यही कारण है कि दिल्ली, महाराष्ट्र या अन्य राज्यों की तरह झारखंड में इस तरह के कोई कदम नहीं उठाये जा सके हैं, जैसा ओमिक्रोन के प्रसार को लेकर उठाया जाना चाहिए, यह दुविधा की स्थिति है.
जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए राज्य के कुछ सैंपल ओड़िशा भेजे गये थे, लेकिन लंबा समय बीतने के बाद भी वहां से कोई रिपोर्ट अब तक नहीं आयी है और पूरा का पूरा स्वास्थ्य अमला अंधेरे में हाथ-पैर मार रहा है. कोरोना की राज्य में स्थिति चिंताजनक तो है ही, इससे भी अधिक चिंता का विषय है कि यदि जांच में यह स्पष्ट हो गया कि राज्य में ओमिक्रोन ने पैर पसार लिये हैं, संक्रमित मरीज ओमिक्रोन के हैं, तो फिर सरकार करेगी क्या? क्योंकि अभी तो हम रेत में सिर गड़ाये यह सोचने में लगे हुए हैं कि यहां ओमिक्रोन का संक्रमण नहीं है.
अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप ओमिक्रोन की मार से फिर पस्त हो रहे हैं. ऐसे में भारत और उस पर झारखंड जैसे सीमित संसाधन वाले राज्य का क्या होगा ?