Gaurav Prakash
Hazaribagh : हजारीबाग के कटकमदाग का पुंदरी इलाका कभी नक्सलियों का गढ़ था. लेकिन गुजरे वक्त के साथ अब यहां पीले तरबूज की चाह किसानों में बढ़ने लगी है. आठ एकड़ में यहां के किसान लाल के साथ पीले तरबूत की खेती पर जोर दे रहे हैं. दरअसल इसका आधार यह भी बताया जा रहा है कि पीले तरबूज में विटामिन बी और सी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.
पीले तरबूज की खेती करने वाले पुंदरी निवासी अनिल कुमार राणा कहते हैं कि गर्मी में यह सबसे पसंदीदा फल है. तरबूज कहने के साथ ही लाल गुद्दादार फल की तस्वीर सामने आ जाती है. लेकिन इन दिनों पुंदरी गांव में पीले तरबूज की खेती हो रही है. किसान को हमेशा प्रयोग करना चाहिए. यह प्रयोग एक अलग पहचान देती है. साथ ही आर्थिक कमाई का एक जरिया भी बन जाता है. वे लोग पिछले कई सालों से गर्मी में तरबूज की खेती करते आए हैं. इस बार भी उनलोगों ने सोचा कि तरबूज की खेती तो करेंगे ही, लेकिन कुछ नया होना चाहिए. ऐसे में एचडीएफसी बैंक की ओर से चलाए जा रहे परिवर्तन कार्यक्रम से कुछ जानकारी हासिल की. केजीवीके संस्था के सहयोग से उन लोगों ने पीले तरबूज के बारे में जानकारी ली और उसके बाद बड़े भू-भाग में इसकी खेती की. पीले तरबूज की खासियत यह है कि यह आकर्षक है. लाल तरबूज तो हर जगह होते हैं, पीले तरबूज की खेती हर जगह नहीं होती है. इसकी कीमत भी लाल तरबूज से अधिक होती है, इस कारण उन लोगों ने पीले तरबूज की खेती की.
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लाल तरबूज से महंगे होते हैं पीले तरबूज के बीज और पौधे
केजीवीके संस्था में काम करने वाले रमेश महतो भी बताते हैं कि पीले तरबूज की खेती भी लाल तरबूज की खेती की तरह परंपरागत है. लेकिन इसके बीज और पौधे महंगे होते हैं. उन लोगों ने पिछले साल भी पीले तरबूज की खेती छोटे पैमाने पर की थी और वह पूर्ण रूप से सफल रहा. इस बार बड़े भूखंड पर पीले तरबूज की खेती की.
बाजार में काफी अच्छी मांग, दूसरे जिलों में भी की जा रही सप्लाई
पीले तरबूज की मांग भी काफी अच्छी है और दूसरे जिलों में भी हजारीबाग से सप्लाई की जा रही है. रामगढ़, चतरा, कोडरमा से लेकर कोलकाता तक यहां के पीले तरबूज भेजे जा रहे हैं. किसानों को पांच से 10 रुपए अधिक कीमत में इस तरबूज का मूल्य मिल जाता है. बाजार में 15 रुपए किलो तक इस तरबूज के दाम मिल रहे हैं. हर दिन हाफ डाला ट्रक पीले तरबूज की खपत है.
माहौल में परिवर्तन से पुंदरी की बदल रही पहचान
कटकमदाग का पुंदरी इलाका कभी नक्सल प्रभावित क्षेत्र माना जाता था. जहां किसी जमाने में नक्सली जन अदालत भी लगाया करते थे. धीरे-धीरे इलाके में परिवर्तन आया और सरकारी योजना धरातल पर उतरी. आज यहां किसान अलग तरह की खेती कर अपनी पहचान बना रहे हैं.
लो कैलेस्ट्रॉल फ्रूट है पीला तरबूज : डॉ निखिल रंजन
डॉ. निखिल रंजन कहते हैं कि पीला तरबूज लो कैलेस्ट्रॉल फ्रूट है. इसमें पानी के साथ-साथ विटामिन बी और सी की प्रचुर मात्रा रहती है. गर्मी में ऐसे फलों के सेवन से सेहत ठीक रहता है. अन्य मौसमी फलों का भी सेवन शरीर के लिए जरूरी है.
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