Arun Burnwal
Koderma : जिले का एक गाव ऐसा है जहां अब तक एक भी कोरोना मरीज नहीं मिला है. और पूरा गांव वैक्सीनेट हो चुका है. पूरा देश जहां पहले और दूसरे लहर से काफी परेशान था. वहां ये गांव पूरी तरह स्वस्थ था. इस गांव के लोग आजतक कोरोना की चपेट में नहीं आये है.
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जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी बसा है गांव
यह गांव जिला मुख्यालय से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर जंगलों के बीच बसा हुआ है. यह गांव कभी जंगल हुआ करता था. यहां सिर्फ पेड़- पौधे और जगली जानवर रहते थे. कई वर्षों पूर्व यहां एक व्यक्ति और उनकी पत्नी आकर बसे. आज इस गांव में उसी व्यक्ति के 250 लोग बसे हुए हैं. मजे की बात ये है कि इनमें से 118 वोटर हैं. यह गांव कोडरमा जिले में नादकरी ऊपर टोला नाम से जाना जाता है. इस गांव में 5 खानदान के लोग रहते है. जिनमें से एक खानदान उत्तिम मियां का है. सबसे बड़ी बात ये है कि इस गांव में सिर्फ एक ही समुदाय के लोग रहते है.
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इस गांव में नहीं मिला एक भी कोरोना मरीज
बता दें कि जहां एक ओर पूरा विश्व कोविड को लेकर परेशान है, जिसमें लाखों लोगों ने अपने परिजनों को खो दिया. कई लोगों की जान चली गयी. ऐसे में नादकरी ऊपर टोला गांव में एक भी कोविड मरीज नहीं मिला है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस गांव के सारे लोग कोविड का टीका लगवा चुके हैं.
गांव वालों ने बताया कि हमलोग सरकार के नियमों का पूरी तरह पालन करते आए हैं. जिससे गांव में आपको एक भी कोविड का मरीज देखने को नहीं मिलेगा. अब करीब 82 साल के हो चुके एक बुजुर्ग ने बताया कि उनके दादा उत्तम मियां 1905 में अपने पिता बाबर अली और पत्नी के साथ इस जगह आकर बसे थे. यहां आने से पहले वे झारखंड के ही गिरिडीह जिले के रेंबा बसकुपाय गांव में रहते थे.
एक ही खानदान के 250 लोग है
हकीम अंसारी कहते हैं कि जब उनके दादा यहां आकर बसे तो इस जगह पर जंगल था. उन्होंने जंगल को साफ करके रहने और खेती लायक बनाया. उनके पांच बेटे मोहम्मद मियां, इब्राहिम मियां, हनीफ अंसारी, करीम बख्श और सदीक मियां है. इन पांच बेटों से उन्हें 26 बेटे और 13 बेटियां है. इन 26 बेटों के 73 बच्चे है. इस प्रकार खानदान के वारिस आगे बढ़ते रहे. उन्होंने बताया कि अब इस खानदान में कुल 250 लोग हैं. जो इसी गांव में रहते हैं. इसे यूं भी कह सकते हैं कि यह पूरा गांव को बसाने में उत्तीम मियां के वंशजों का महत्वपूर्ण योगदान है.
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