Vinit Upadhyay
Ranchi : रांची में जिस तेजी से जमीन की डिमांड बढ़ रही है. तो जमीन के पेपर और ऑनलाइन दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ के मामले में उसी स्तर से बढ़ रहे हैं. बढ़ती डिमांड और जमीन के धंधे में होने वाले मुनाफे का वजह से जमीन का कारोबार करने वाले ऑफलाइन दस्तावेज से लेकर ऑनलाइन रिकॉर्ड तक दुरुस्त करने में हर तिकड़म लगा देते हैं. क्योंकि जमीन के पेपर जितने पुख्ता होंगे, उसकी कीमत भी उतनी ही अच्छी मिलेगी. हाल के दिनों में ऐसे कुछ मामले सामने आये हैं, जिससे यह कहना कहीं से गलत नहीं होगा कि रांची में जमीन के दस्तावेजों में छेड़छाड़ की जा रही है. यह छेड़छाड़ सिर्फ ऑफलाइन रिकॉर्ड्स जैसे खतियान,पंजी-2, ऑफलाइन रसीद, खरीद-बिक्री से संबंधित दस्तावेज (सेल डीड) तक में ही सीमित नहीं रह गयी है.
बल्कि अब भू-माफिया या लैंड ब्रोकर जमीन के ऑनलाइन रिकॉर्ड में भी छेड़छाड़ करने की हिम्मत करने लगे हैं. रांची में फिलहाल नामकुम, कांके, नगड़ी, ओरमांझी और रातू इलाके में जमीन माफिया सक्रिय हैं. इन इलाकों में जमीन पर कब्जा करने और खरीद-बिक्री के लिए सारे तिकड़म लगाने से भी पीछे नहीं हट रहे. रांची में जमीन के फर्जी दस्तावेज तैयार करने और उसे ऑनलाइन अपडेट करने से लेकर रिकॉर्ड रूम में रिकॉर्ड मेंटेन करने का दावा करने वाले गिरोह भी सक्रिय हैं. इस काम में NIC, रिकॉर्ड रूम, अंचल कार्यालय और निबंधन कार्यालय के कुछ लोगों की भूमिका संदिग्ध है. रजिस्टर-2 में छेड़छाड़, खतियान में नाम बदलने, भूमि का नेचर बदलने के अलावा रसीद में खाता नंबर और प्लॉट नंबर के साथ छेड़छाड़ समेत कई ऐसे दस्तावेज हैं, जिसमें ऑनलाइन गड़बड़ी की जा रही है.
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हाल में जो मामले सामने आये
1-तमाड़ अंचल के लौंड्रा मौजा में करीब 100 एकड़ आदिवासी जमीन को NIC के अधिकारियों की मिलीभगत से जनरल बना दिया गया था, इस मामले में NIC के एक जूनियर अधिकारी पर प्राथमिकी दर्ज करवाकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की गई.
2- कांके अंचल के गेतलातु मौजा में भी करीब 4.50 एकड़ भूमि के ऑनलाइन रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर उसे जनरल बना दिया गया. इसके लिए कोलकाता की डीड का सहारा लिया गया.
3-रातू अंचल के बेलांगी मौजा में भी इसी तरह का मामला सामने आया था. जहां ऑनलाइन रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर आदिवासी खतियान की करीब 5 एकड़ भूमि का नेचर बदलकर जेनरल बना दिया गया था. इस मामले में रिकॉर्ड रूम के कुछ लोगों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है. क्योंकि इस भूखंड पर अपना दावा करने वाले रेंट सूट और रेंट फिक्सेशन को आधार बना रहे हैं.
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