Nitesh Ojha
Ranchi : उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग के अंतर्गत चल रहे राज्य के सरकारी पॉलिटेक्निक संस्थानों की स्थिति काफी खराब है. संस्थानों का संचालन भी सही तरीके से नहीं हो रहा है. नतीजा पीपीपी मोड पर चल रहे संस्थानों में केवल 25 से 30 प्रतिशत विद्यार्थियों का ही प्लेसमेंट हो पा रहा है. वहीं, राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेजों में सिर्फ 30-35 फीसदी विद्यार्थियों का ही प्लेसमेंट हो रहा है. प्लेसमेंट के बाद छात्र-छात्राओं को सिर्फ 15 से 17 हजार रुपये मासिक यानी 1.5 से 2 लाख वार्षिक वेतन का पैकेज मिल रहा है. स्थिति खराब होते देखे पिछली सरकार द्वारा आठ पॉलिटेक्निक संस्थानों को पीपीपी मोड पर चलाने का निर्णय लिया गया, लेकिन आशानुरूप सफलता नहीं मिल पायी. अब इन संस्थानों को चलाने के लिए विभाग द्वारा पैनआईआईटी एलुमनी रीच फॉर झारखंड फाउंडेशन (प्रेझा) के साथ समझौता किया गया है. कई संस्थानों में शिक्षकों की भी कमी है. वहीं, कई संस्थानों में योग्य विद्यार्थियों के लिए सीटें भी पड़ जाती हैं. कई कॉलेजों में नियमित क्लास भी नहीं हो रहे हैं. कुल मिलाकर संस्थान बस किसी तरह चल रहे हैं. शुभम संदेश की टीम ने राज्य के पॉलिटेक्निक संस्थानों का हाल जाना. प्रस्तुत है विस्तृत रिपोर्ट:-
- -पॉलिटेक्निक संस्थानों को चलाने के लिए राज्य सरकार ने पैनआईआईटी एल्युमिनी रीच फॉर झारखंड फाउंडेशन (प्रेझा) के साथ किया है समझौता
- उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के कुल 42 पॉलिटेक्निक संस्थान, इनमें 17 राजकीय, 17 प्राइवेट और 8 पीपीपी मोड पर संचालित.
- खूंटी, लोहरदगा, हजारीबाग, जामताड़ा, गोड्डा, बगोदर व पलामू में नये पॉलिटेक्निक भवन बनकर तैयार.
- 17 राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थानों में 3730 सीटें, 3430 बच्चे ले रहे एडमिशन, प्लेसमेंट 30 से 35%.
- पीपीपी मोड पर चल रहे संस्थानों में 2530 सीटों पर एडमिशन केवल 1650 का, प्लेसमेंट मात्र 25 से 30%.
राज्य में 42 पॉलिटेक्निक संस्थान संचालित, 8 नये बनकर तैयार
बता दें कि उच्च एवं तकनीकी शिक्षा के तगत इन दिनों राज्य में कुल 42 कुल पॉलिटेक्निक संस्थान चल रहे हैं. इनमें से 17 राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थान (13 राजकीय और 4 राजकीय महिला पॉलिटेक्निक शामिल) संचालित हैं. वहीं, पीपीपी मोड पर 8 पॉलिटेक्निक संस्थान (सिल्ली, पाकुड़, गोला, चांडिल, गढ़वा, मधुपुर, बहरागोड़ा और गुमला में) चल रहे हैं. 17 निजी क्षेत्र में चल रहे हैं. इसके अलावा 8 जिलों (खूंटी, लोहरदगा, हजारीबाग, जामताड़ा, गोड्डा, बगोदर एवं पलामू) में नये पॉलिटेक्निक भवन बनकर तैयार हैं.
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17 राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थानों में प्लेसमेंट की स्थिति बेहतर नहीं
17 राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थानों में पढ़ाई कर रहे छात्रा-छात्राओं के प्लेसमेंट की स्थिति बेहतर नहीं है. इन संस्थानों में कुल 3730 सीटें हैं. इनमें हर साल औसत 3430 बच्चों का एडमिशन हो रहा है और औसतन 30 – 35 प्रतिशत (करीब 1115) छात्र-छात्राओं का ही प्लेसमेंट हो पा रहा है. पॉलिटेक्निक संस्थानों की स्थिति खराब होते देख पिछली सरकार ने 8 नये पॉलिटेक्निक संस्थानों को पब्लिक-प्राइवेट मोड (पीपीपी) पर चलाने का फैसला लिया था. लेकिन फिर भी छात्रा-छात्राओं के प्लेसमेंट की स्थिति में सुधार नहीं हुआ. वहीं, पीपीपी मोड पर चल रहे 8 नये पॉलिटेक्निक संस्थानों में कुल उपलब्ध 2530 सीटों के विरुद्ध लगभग 1650 छात्रों का ही एडमिशन वर्तमान में हो रहा है, जो कुल क्षमता के लगभग 65 प्रतिशत है. इनमें से भी मात्र 25 से 30 % (करीब 454 ) छात्रों का ही प्लेसमेंट हो पा रहा है, वह भी एक सिर्फ 1.5 से 2 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर.
प्रेझा फाउंडेशन को मिला है जिम्मा
विभाग ने अब 8 नयो बने पॉलिटेक्निक संस्थानों को संचालित करने का जिम्मा प्रेझा फाउंडेशन को दिया है. प्रेझा फाउंडेशन झारखंड सरकार और पैनआईआईटी एल्युमिनी रीच फॉर इंडिया फाउंडेशन का एक गैर-लाभकारी संयुक्त संस्था है. इसमें राज्य सरकार की 40 प्रतिशत और पैन आईआईटी की 60 प्रतिशत भागीदारी है. यह विशेष रूप से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ी, अल्पसंख्यक और आर्थिक रूप से कमजोर सवर्ण वर्ग (ईडब्ल्यूएस) युवाओं को व्यावसायिक और आजीविका शिक्षा प्रदान कर रहा है. विभाग की मानें, तो प्रेझा फाउंडेशन इन दिनों राज्य के कुछ आईआईटी और नर्सिंग कॉलेजों को भी बेहतर तरीके से संचालित कर रहा है.
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