LagatarDesk : अगर आप भी शेयर बाजार में कम पैसा लगाते हैं तो यह खबर आप के लिए है. क्योंकि बहुत जल्द छोटे इनवेस्टर्स यानी रिटेल इनवेस्टर्स को महंगे शेयरों में पैसा लगाने का मौका मिलेगा. निवेशक 100 रुपये में भी महंगे शेयरों का एक छोटा हिस्सा यानी फ्रैक्शनल शेयर खरीद पायेंगे. दरअसल एक रिपोर्ट में कंपनी लॉ कमेटी ने देश में फ्रैक्शनल शेयरों की अनुमति देने की सिफारिश की है.
निवेश से बाजार में बड़े पैमाने पर आयेगा पैसा
कंपनी लॉ कमेटी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को अपनी रिपोर्ट भेजी है. रिपोर्ट में कमेटी ने कहा है कि मौजूदा कंपनी अधिनियम के तहत कंपनियों को फ्रैक्शनल शेयर जारी करने की अनुमति नहीं है. यदि इसकी अनुमति दी जाती है तो रिटेल इनवेस्टर्स को हाई-वैल्यू शेयरों में पैसा लगाने का मौका मिलेगा. इससे पूंजी बाजार में बड़े पैमाने पर पैसा आयेगा.
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वित्त वर्ष में 1.42 करोड़ रिटेल इनवेस्टर्स ने शेयर बाजार में रखा कदम
बता दें कि वित्त वर्ष 2020-21 में 1.42 करोड़ नये रिटेल इनवेस्टर्स ने शेयर बाजार में कदम रखा है. लॉ कंसल्टेंसी फर्म जे. सागर एसोसिएट्स के अनुसार, शेयर बाजार में रिटेल इनवेस्टर्स की बढ़ती भागीदारी को देखते हुए फ्रैक्शनल शेयरों की ट्रेडिंग की अनुमति देने की सिफारिश शानदार पहल है. इससे छोटे इनवेस्टर्स को ऐसे शेयरों में पैसा लगाने की सुविधा मिलेगी. जिनमें वे अभी निवेश नहीं कर सकते हैं. आपको बता दें कि कई देशों में पहले से ही फ्रैक्शनल शेयरों की ट्रेडिंग होती है. फिलहाल फ्रैक्शनल शेयरों की ट्रेडिंग अमेरिका, ब्रिटेन और जापान समेत ज्यादातर विकसित देशों में होती है.
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फ्रैक्शनल शेयरों से निवेशकों और कंपनियों दोनों को होगा फायदा
- भारत में अभी शेयर में निवेश की न्यूनतम इकाई एक शेयर है. यानी किसी कंपनी का कम से कम एक शेयर खरीदना होता है. देश में सबसे महंगा शेयर टायर कंपनी एमआरएफ का है. जिसकी कीमत 67,500 रूपये है.
- फ्रैक्शनल शेयर किसी शेयर का एक भाग होता है. आप जितने रूपये उस शेयर में लगाते हैं. उस शेयर का उतना हिस्सा आपको मिल जाता है. उदाहरण के लिए अगर आप एमआरएफ का फ्रैक्शनल शेयर 100 रू. में लेते हैं तो आपको शेयर का 675वां हिस्सा मिलेगा.
- बता दें कि निवेशक ट्रस्टी के जरिए इसे बेच भी सकते हैं. हालांकि शेयर होल्डर्स को फ्रैक्शनल शेयरों की डिलीवरी नहीं होती. आमतौर पर ऐसे शेयर कंपनी के बोर्ड की तरफ से नियुक्त एक ट्रस्टी के अकाउंट में क्रेडिट किये जाते हैं. जो इनका केयरटेकर भी होता है. शेयर बेचने पर अपने हिस्से के बराबर राशि शेयर होल्डर को मिल जायेगी. ऐसे शेयर होल्डर्स को कंपनी की तरफ से डिविडेंट भी उनके हिस्से के अनुपात में मिलता है.
- मालूम हो कि ज्यादातर अच्छे शेयरों की कीमत अधिक होती है. यदि कोई हर महीने हजार रूपये के शेयर लेना चाहता है तो वह रिलायंस, टीसीएस या नेस्ले के शेयर नहीं खरीद सकता. इन तीनों कंपनियों के शेयरों की कीमत एक हजार से ज्यादा है.