Srinivas
दिल्ली की सीमाओं पर करीब दो महीने से जारी और केंद्र की आंख की किरकिरी बने अभूतपूर्व किसान आंदोलन की और देश की नजरें टिकी हुई हैं. आंदोलन को बदनाम करने के प्रयासों के बीच सत्ता पक्ष के लोग और सरकार समर्थक यह भी पूछ रहे हैं कि सम्बद्ध कृषि कानूनों से सिर्फ पंजाब और हरियाणा के किसानों को कष्ट क्यों है? यह भी बताया जा रहा है कि शेष भारत में तो इन कानूनों का कोई विरोध या इस आन्दोलन का समर्थन नहीं हो रहा है.
इन सवालों का कोई स्पष्ट जवाब नहीं है, हालांकि यह बात शायद पूरा सच नहीं है कि इस आंदोलन का कहीं समर्थन नहीं हो रहा है. इसका एक प्रमाण है उडीसा से लगभग पांच सौ लोगों की ‘दिल्ली चलो’ यात्रा, जिसका बंगाल, झारखंड और बिहार में जोरदार और उत्साह से स्वागत हुआ. इस लिहाज से यकीनन यात्रा सहज और मनोरम भी रही होगी. मगर बिहार से उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करते ही यात्रा दुर्गम हो गयी. हालाँकि उत्तरप्रदेश में भी जगह जगह यात्रियों के स्वागत की तैयारी है, मगर संकीर्ण ‘हिंदुत्व’ की नयी प्रयोगशाला बने इस राज्य का प्रशासन मानो कदम कदम पर यात्रियों को परेशान करने पर आमादा है.
यात्रा के शुरुआती दिनों का विवरण बाद में, फिलहाल अद्यतन स्थिति. इन पंक्तियों के लिखने, यानी 21 जनवरी की शाम आठ बजे, तक की अद्यतन जानकारी यह है कि पांच सौ उत्साही और हर हाल में 26 जनवरी को तय किसानों की रैली में शामिल होने के लिए निकले संकल्पबद्ध लोगों का जत्था कानपुर से आगरा के रास्ते पर है. यात्रा में शामिल, नेतृत्व स्तर के हिमांशु तिवारी ने साढ़े आठ बजे रात में फोन पर बताया- यह अनिश्चित है कि उनको आगरा शहर में प्रवेश करने दिया जायेगा या नहीं. जहाँ उस समय यात्री थे, वहां से आगरा कोई डेढ़ सौ किमी दूर था.
आगे आप इन पंक्तियों के लेखक सहित अन्य मित्रों द्वारा सहमना/वैचारिक वाट्सएप समूहों पर जारी इस यात्रा की कुछ संक्षिप्त रपट टुकड़ों में देखेंगे…
21 जनवरी : जत्था रात कोई 11 बजे कानपुर पहुंचा. लगभग नजरबंदी की हालत में चल रही है. करीब डेढ़ सौ पुलिसकर्मी साथ चल रहे थे. ठहरने की व्यवस्था प्रशासन ने ही की. खाने का इंतजाम भी. वैसे स्थानीय समर्थकों ने भी भोजन की व्यवस्था कर रखी थी. यह जानकारी अभी साढ़े आठ बजे सुबह हिमांशु तिवारी से मिली. ये कानपुर शहर में चौ. चरण सिंह की प्रतिमा तक जाना चाहते हैं. इजाजत मिलेगी, जरूरी नहीं. यहां से जत्थे का तय रूट मुरादाबाद होकर है. लेकिन प्रशासन की मंजूरी के बाद ही तय होगा…
भारी जद्दोजहद के साथ यात्रा जारी है. प्रशासन के नानुकुर और यात्रियों की जिद के बाद कुछ लोगों को कानपुर शहर में चरण सिंह की प्रतिमा तक जाने दिया गया. पर और किसी से मिलने की अनुमति नहीं दी गयी. ये भी अड़ गये कि जब आप तय रूट से नहीं जाने दे रहे तो आप वाहन में ईंधन भरवाइये या फिर हमें समर्थकों से मिलने दें, जो हमारी सहायता के लिए तत्पर हैं. ये वहीं जमे रहने पर अड़ गये. अंततः इनसे कहा गया कि आप अपने लोगों को बुला लें. यात्रा कोई 15 मिनट पहले आगे बढ़ गयी. पर मुरादाबाद की ओर जाने से रोक दिया गया.
(करीब तीन बजे हिमांशु जी से हुई बातचीत के आधार पर….)
“उत्तर प्रदेश प्रशासन किसानों की किसान दिल्ली चलो यात्रा को लगभग नजरबंद जैसी स्थिति में रूट बदल कर ले जा रही है. यात्रा प्रयागराज के सहसों से आगे बढ़ी है. सरकार ने रूट बदला है तो किसानों की भोजन और पानी की व्यवस्था सरकार की बनती है जो उन्होंने वादा भी किया था और अभी तक नही कराया है ‘ हिमांशु तिवारी; 21 जनवरी
“नव निर्माण किसान संगठन की 15 जनवरी से ओड़िशा से दिल्ली तक सात दिनों की पांच राज्यों से होकर ‘दिल्ली चलो यात्रा’ कल बनारस के बाद जौनपुर के पाली गांव में पहुंची थी. आज सुबह यहां से लखनऊ होकर आगे बढ़ने का था. मगर उत्तर प्रदेश प्रशासन ने हमारे पूर्व निर्धारित रूट और कार्यक्रम के विरुद्ध जाकर हमें उत्तर प्रदेश पुलिस दिल्ली बता कर ले जा रही है.
इस बात का प्रतिवाद करते हुए अक्षय कुमार (राष्ट्रीय संयोजक – नवनिर्माण किसान संगठन ) राष्ट्रीय सदस्य – संयुक्त किसान मोर्चा आज से 26 जनवरी तक सत्याग्रह के रूप में उपवास पर रहेंगे.” : हिमांशु तिवारी; यात्रा संयोजक, सदस्य- संयुक्त किसान मोर्चा; 20 .1.21
इसके पहले–
आशंका सच निकली…
कल शाम उड़ीसा के जत्थे में शामिल हिमांशु तिवारी से बात हुई. बोले- मोहनियां क्रॉस कर रहे हैं. कुछ देर में बिहार से निकल जायेंगे. लेकिन देर रात प्रभात (पटना) के फेसबुक पोस्ट से पता चला कि उड़ीसा के जत्थे को बनारस में जहां ठहरना था, प्रशासन ने वहां ताला जड़ दिया. किसी को रुकने की इजाजत नहीं है! नतीजतन जत्था मोहनियां में ही रुक गया.
गत 16 जनवरी की रात उड़ीसा के कारवां के नेतृत्वकर्ता साथी अक्षय और हिमांशु तिवारी को मैंने मजाक में ही कहा था- अभी तक आप गैर भाजपा शासित राज्यों म़े यात्रा करते रहे ह़ै. कल से, झारखंड से निकलते ही आपका मार्ग थोड़ा दुर्गम हो जायेगा. उन्हेंने हंसते हुए कहा था- बिहार के मित्रों ने आश्वस्त किया है कि वे हर चुनौती के लिए तैयार हैं.
बिहार में इनका जोरदार स्वागत हुआ भी. लेकिन ‘पूर्ण’ भाजपा राज में रात जो हुआ, यदि वह खबर सही है, तो इसे संवेदनहीनता और क्रूरता की इंतेहा ही कह सकते हैं.
उधर सुप्रीम कोर्ट ने 26 की किसानों की ट्रैक्टर रैली पर रोक लगाने से मना कर दिया; इधर योगी सरकार तानाशाही पर उतारू है.
बीते तीन-चार दिनों की अनेक रपट और संस्मरण हैं, जिनको शामिल करने से यह एक पोथा बन जायेगा. इसलिए फिलहाल यात्रियों के लिए शुभकामना और इस कामना के साथ विराम कि कथित ईश्वर श्री योगी और उनके प्रशासन को सद्बुद्धि देगा और आगे वे इन शांतिवादी शांतिकामी, मगर सत्य के लिए लड़ने-अड़ने और हर तरह का कष्ट झेलने को तैयार ऐसे जिद्दी यात्रियों से पंगा लेने और उनके मार्ग में और कठिनाई पैदा करने से परहेज करेंगे.