सौरभ शुक्ला
Ranchi : अग्निशमन विभाग की जांच में चौंकाने वाली तथ्य सामने आयी है. उपायुक्त के निर्देश पर पिछले तीन महीनों में शहर के निजी अस्पताल व क्लीनिकों में फायर सेफ्टी से संबंधित जांच किए गए थे. जिले के पांचों अग्निशमन विभाग द्वारा विभिन्न इलाकों के करीब 114 निजी अस्पताल व क्लीनिक का निरीक्षण किया गया. पता चला कि इनमें से 85 अस्पताल और क्लीनिक के संचालकों ने फायर एनओसी तक नहीं लिया है.
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अग्निशमन विभाग से एनओसी लेना अनिवार्य है
एनओसी निर्गत होना तो दूर बल्कि इसके लिए बगैर आवेदन किए ही बिल्डिंग तैयार कर अस्पताल खोल उसमें मरीजों का इलाज सालों से किया जा रहा है. जबकि नियम की माने तो अस्पताल या किसी भी कॉमर्शियल अपार्टमेंट के निर्माण से पूर्व ही अग्निशमन विभाग से एनओसी लेना अनिवार्य है.
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आग लगी कि घटना के वक्त आग पर काबू पाना होगा मुश्किल
मिली जानकारी के अनुसार, 44 अस्पताल व हैल्थ सेंटर ऐसे पाए गए जहां अग्निशमन यंत्र (फायर एस्टिंगयूसर) तक नहीं है. अगर इन अस्पतालों में कभी अग्लगी की घटना घट जाए तो उसमें काबू पाना भी मुसीबत हो जाएगा. अस्पतालों में आग धधकने के सभी तत्व मौजूद होते है. कई केमिकल होते है. जिसे अग्लगी की स्थिति में उसकी लपटे तेज हो सकते है. इन सारी बातों को जानते हुए भी अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है.
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10 दिन पूर्व सौंप दी गयी जांच रिपोर्ट, अब तक नहीं हुई कार्रवाई
सुरक्षा मानकों को नजरंदाज कर अस्पताल संचालक मरीजों की ज़िंदगी से खिलवाड़ कर रहे है. बता दें कि कुछ माह पूर्व दूसरे राज्य के अस्पताल में अग्लगी की घटना घटी थी. बड़ी संख्या में जानमाल का नुक़सान हुआ था. उसी घटना के बाद रांची जिला प्रशासन भी हरकत में आयी और अग्निशमन विभाग को अस्पतालों का निरक्षण कर जांच रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया था. 10 दिन पूर्व जांच रिपोर्ट भी सौंप दी गई है. फिर भी अब तक किसी भी अस्पताल व क्लीनिक पर कार्रवाई नहीं की गई है.
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शहर के 20 प्रतिशत अस्पताल भी नहीं कर रहे हैं मानकों को पूरा
डोरंडा के प्रभारी अग्निशमालय पदाधिकारी गोपाल यादव ने कहा कि उपायुक्त के निर्देश पर शहर के अधिकांश अस्पताल व क्लीनिकों में जांच की गई थी. निर्धारित मानक के अनुकूल 20 फीसद अस्पतालों को भी नहीं पाया गया. जांच कर रिपोर्ट सौंप दी गई है.
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