Pakur : अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (अभाविप) की पाकुड़ नगर इकाई ने 29 अक्टूबर को डॉ. कार्तिक उरांव की 98 वीं जयंती मनाई. परिषद् कार्यकर्ताओं ने उनके चित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए. परिषद् के जनजातीय कार्य प्रमुख राजा हेंब्रम ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डाला. कहा कि कार्तिक उरांव ने जनजातीय समाज की परंपरा, संस्कृति एवं भाषा को बचाने में अथक प्रयास किया. विदेश में पढ़ाई कर इंजीनियर बने. बाद में लोहरदगा से सांसद चुने गए. जीवन पर्यंत जनजातीय समाज में फैली कुरीतियां दूर करने में लगे रहे.
परिषद् के जिला संयोजक बमभोला उपाध्याय ने कहा कि कार्तिक उरांव ने धर्म परिवर्तन कर चुके जनजातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिले, इसकी कोशिश की. जनजातीय समाज को संस्कृति और सभ्यता के चलते आरक्षण का लाभ मिला है. संस्कृति को छोड़ने वाले जनजातियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलना चाहिए. विधर्मी जनजातीय समाज को धर्मांतरित करने में लगे हैं. उनके साजिश को समझकर बचने की जरूरत है.
परिषद् के विभाग संयोजक अमित साहा ने कार्तिक उरांव के जीवन को आदर्श बताते हुए कहा कि राजनीति में सक्रिय रहते हुए उन्होंने जनजातीय समाज के उत्थान के लिए कार्य किया. उनसे प्रेरणा लेकर जनजातीय समाज के युवाओं को धर्मांतरण रोकना चाहिए. उनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है. मौके पर सत्यम भगत, जीत कुमार दान, दीपक दास, आनंद भंडारी समेत परिषद् के दर्जनों कार्यकर्ता मौजूद थे.
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