रथयात्रा की 326 साल पुरानी परंपरा
Pakur : पाकुड़ में 20 जून को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई. रथ पर भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा का विग्रह रखा था. रथयात्रा राजापाड़ा स्थित नित्य काली मंदिर से राजापाड़ा हाट होते हुए भगतपाड़ा तक निकाली गई. फिर रथयात्रा वापस नित्य काली मंदिर पहुंची. मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ मदन मोहन मंदिर से निकलकर मौसी बाड़ी पहुंचे. आठ दिनों तक वे अपनी मौसी के घर रंगमहल में विश्राम करेंगे. रथयात्रा को लेकर पाकुड़ में उत्साह का माहौल है. मेला भी लगा है, जो एक माह तक चलेगा. रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ का दर्शन करने श्रद्धआलुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. रास्ते में जय जगन्नाथ के जयकारे लगाते हुए श्रद्धालु रथ खींच रहे थे.
पाकुड़ में रथयात्रा की 326 साल पुरानी परंपरा है. 1697 में राजा पृथ्वी चंद्र शाही ने इसकी शुरुआत की थी. उस समय रथ नीम की लकड़ी से बनाई जाती थी. वर्ष 1929 में रानी ज्योति देवी ने पीतल के रथ पर भगवान जगन्नाथ को विराजमान किया. वर्तमान में रानी ज्योर्तिमयी देवी देवोत्तर स्टेट की सेवायत मीरा प्रवीण सिंह, देव मोहन, अमित पांडे, अभिजीत पांडे और अरिजीत पांडे रथयात्रा की व्यवस्था करते हैं. पूजा-अर्चना पंडित भरत भूषण मिश्र करते हैं.
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