Medininagar, Palamu: भारतीय जननाट्य संघ (इप्टा), मेदिनीनगर द्वारा संचालित सांस्कृतिक पाठशाला की 27 वीं कड़ी में “लोकतंत्र के महापर्व चुनाव में नागरिकों के कर्तव्य” विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया. परिचर्चा रेडमा स्थित इप्टा कार्यालय में हुई. इसकी अध्यक्षता इप्टा के अध्यक्ष प्रेम भसीन और अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष केडी सिंह ने किया. मौके पर जनता के कर्तव्य, राजनीतिक पार्टियों, विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत लोगों के कर्तव्यों सहित भटकाव के कारण एवं समाधान पर प्रकाश डाला गया. सबसे पहले विषय प्रवेश कराते हुए प्रेम प्रकाश ने कहा कि देश के नागरिकों की अलग-अलग कैटेगरी है. जैसे- कलाकारों, समाजसेवियों, राजनेताओं और आम जनता की. समाज के सभी कैटेगरी का दायित्व बनता है कि प्रजातांत्रिक मूल्यों के संरक्षण के लिए सभी कैटेगरी के लोग अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें.
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“जनता अपना कर्तव्य निभाती है तो सत्ता निरंकुश नहीं होता”
वहीं संजीव कुमार संजू ने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा कि वर्तमान समय में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गयी है कि श्री राम जी का फोटो लगा लीजिए आपके सारे कर्तव्य पूरे हो गये. जबकि शशि पांडेय ने कहा कि केवल साहित्यकार एवं कलाकार ही हैं जो अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं. शमशेर सिंह ने कहा कि यह ऐसा विषय है जिसके बारे में हम बचपन में विद्यालय में पढते थे. राजनीति में अच्छे लोग नहीं आ पा रहे हैं क्योंकि लोग अपने स्वार्थ में नेता चुन रहे है. सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है. झारखण्ड +2 शिक्षक संघ, पलामू के प्रवक्ता सह मीडिया प्रभारी अच्छेलाल प्रजापति ने कहा कि जब जनता अपने कर्तव्यों का सही से निर्वहन करती है तो सत्ता निरंकुश नहीं होता है. इसलिए जनता को हमेशा सजग रहना होगा तभी लोकतंत्र सुरक्षित होगा.
“मोदी मैजिक जैसी कोई चीज नहीं”
झारखण्ड +2 शिक्षक संघ, पलामू के जिला अध्यक्ष शिक्षक शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने कहा कि लोग कहते है कि जनता अपने कर्तव्यों को नहीं समझती. वह मोदी मैजिक या मोदी लहर में बहने लगती है, मैं इससे सहमत नहीं हूँ. उन्होंने लोकसभा और राज्य सभा में कुछ समय अंतराल पर एक ही राज्य में हुए चुनावों का उदाहरण देते हुए बताया कि विधानसभा के चुनाव में भाजपा बुरी तरह से हारती है, वहीं लोक सभा में प्रचंड बहुमत से जीतती है. तो क्यों एक जगह मोदी मैजिक कार्य कर रहा है तो दूसरी जगह विफल हो रहा है. इसका मतलब मोदी मैजिक जैसा कुछ नहीं है. जनता सब कुछ जानती और समझती है.
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“भारत का लोकतंत्र पूंजीवादी”
वरिष्ठ अधिवक्ता नन्दलाल सिंह ने कहा कि कि ब्राह्मणवाद और जातिवाद को समाप्त किये बिना हम लोकतंत्र नहीं बचा सकते हैं. भारतीय लोकतंत्र पूंजीवादी लोकतंत्र है. चुनावों में पूंजी प्रभावशाली हो जाती है. चुनाव आयोग के अध्यक्ष तक इसके प्रभाव में आ जाते है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड ने चुनाव आयोग के चयन की पारदर्शी प्रक्रिया के लिए सुझाव दिया था जिसे मोदी ने स्वीकर नहीं किया. मोदी सत्ता की नीतियां हमेशा नागरिक विरोधी रही है. हिन्दी और गैर हिन्दी प्रदेश में यह अंतर है कि गैर-हिन्दी प्रदेश जाति आधारित राजनीति नहीं करते जबकि हिन्दी प्रदेश उसमें आकंठ डूबे हुए हैं. इसलिए कांग्रेस भी पिछडों के प्रतिनिधित्व की बात करने लगी है. फिर भी उनका यह दाव सफल नहीं रहा. कुलदीप ने कहा कि कार्पोरेट ने मतदान प्रक्रिया ने हैक कर लिया है. ललन प्रजापति ने कहा कि गरीब व असहाय लोकतंत्र की रक्षा नहीं कर सकता है. चुनाव जैसे संपन्न हो रहा है उसे महापर्व कहना वर्तमान में उचित नहीं है. बिना क्रान्ति के कुछ नहीं हो सकता और क्रान्ति घर में बैठकर नहीं की जा सकती है. इसके लिए जनता से जुडना होगा. दिव्या भगत ने कहा कि हमें ऐसी फिल्में बनानी होगी जो अपनी संस्कृति एव॔ अपनी जडों से जुडी हो. इसके लिए सामाजिक क्रान्ति की आवश्यकता है. सामाजिक कार्यकर्ता जेम्स हेरेंज ने कहां कि देश में नागरिक बनाने की प्रक्रिया ही शुरू नहीं हुई है. बाजार ने नागरिकों को उपभोक्ता और प्रशासन ने लाभुक बनाकर छोड़ दिया है. संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकार और कर्तव्य के बारे में लिखा है. नागरिकों को पर्यावरण से जुड़ना होगा.