LagatarDesk : हिंदू कैलेंडर के अनुसार, अक्षय तृतीया हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस साल अक्षय तृतीया आज यानी 3 मई को है. अक्षय तृतीया के दिन पंच महायोग का निर्माण हो रहा है. 3 मई को सूर्य मेष राशि, चंद्रमा कर्क राशि, शुक्र और गुरु मीन राशि और शनि स्वराशि कुंभ में रहेंगे. अक्षय तृतीया पर ग्रहों की स्थिति के अलावा केदार, शुभ कर्तरी, उभयचरी, विमल और सुमुख नाम के पांच राजयोग भी बन रहे हैं. शोभन और मातंग योग भी इस दिन खास बना रहे हैं. ज्योतिषविदों की मानें तो ग्रहों का ऐसा दुर्लभ संयोग अगले 100 साल तक नहीं बनेगा.
अक्षय तृतीया में कलश पूजन का विशेष महत्व
अक्षय तृतीया के दिन कलश पूजन का विशेष महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति आज विधि विधान से लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसको पूरे साल धन-संपत्ति की कमी नहीं होती है. उसका जीवन हमेशा खुशहाल रहता है.
अक्षय तृतीया कब से कब तक
- अक्षय तृतीया पूजा करने का मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक
अवधि – 6 घंटे 27 मिनट - तृतीया तिथि प्रारंभ और समाप्त – मई 03 2022 को सुबह 05 बजकर 18 मिनट से लेकर मई 04, 2022 को सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक
तृतीया तिथि के दिन सोने के आभूषण खरीदने का विशेष महत्व
धार्मिक मान्यता अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन सोने के आभूषण खरीदना बेहद शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन सोने के आभूषण खरीदने से पूरे साल धन-संपत्ति की कमी नहीं होती है. आज मकान, जमीन या कारोबार में निवेश करना भी अत्यंत लाभकारी होता है. अक्षय तृतीया में खरीदारी करने का शुभ मुहूर्त 3 मई 2022 की सुबह 05 बजकर 59 मिनट से लेकर 4 मई 2022 को सुबह 05 बजकर 38 मिनट तक है.
अक्षय तृतीया के दिन विष्णु के छठे अवतार परशुराम का हुआ था जन्म
धार्मिक मान्यता अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम का जन्म हुआ था. अक्षय तृतीया के दिन ही भगवान कृष्ण की वजह से द्रौपदी को अक्षय कलश की प्राप्ति हुई थी. अक्षय तृतीया के दिन ही राजा जनक को माता सीता हल जोतते वक्त कलश में मिली थीं.
अक्षय तृतीया के दिन कलश पूजन का विशेष महत्व
अक्षय तृतीया के दिन सागर मंथन की भी शुरुआत हुई थी और उसमें से निकलने वाला अमृत कलश पात्र में भी भरा था. कहते हैं कि कलश में 33 हजार करोड़ देवी-देविताओं का वास होता है. इसलिए अक्षय तृतीया के दिन कलश पूजन का विशेष महत्व होता है.
अक्षय तृतीया की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, युधिष्ठिर को अक्षय तृतीया का महत्व बताते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि यह परम पुण्यमयी तिथि है. इस दिन स्नान, दान, तप होम और तर्पण करने से व्यक्ति अक्षय पुण्यफल का भागी होता है.
इसे लेकर एक और कहानी प्रचलित है- प्राचीन काल में एक गरीब, सदाचारी तथा देवताओं में श्रद्धा रखने वाला वैश्य रहता था. वह गरीब होने के कारण बड़ा व्याकुल रहता था. उसे किसी ने इस व्रत को करने की सलाह दी. उसने इस पर्व के आने पर गंगा में स्नान कर विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की व दान दिया. यही वैश्य अगले जन्म में कुशावती का राजा बना. अक्षय तृतीया को पूजा व दान के प्रभाव से वह बहुत धनी तथा प्रतापी बना. यह सब अक्षय तृतीया का ही पुण्य प्रभाव था.