NewDelhi : भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने संविधान के बुनियादी ढांचे के सिद्धांत को ध्रुव तारा करार देते हुए कहा कि जब आगे का रास्ता जटिल होता है तब हमारे संविधान की मूल संरचना हमें निश्चित दिशा दिखाती है. नानी ए पालकीवाला स्मृति व्याख्यान में बोलते हुए चीफ जस्टिस ने यह बात कही. उनकी बात उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की हालिया टिप्पणी का जवाब मानी जा रही है. याद करें कि उपराष्ट्रपति ने 1973 के केशवानंद भारती मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाया था.
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…तो यह कहना मुश्किल होगा कि हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं
श्री धनखड़ का मानना था कि इस फैसले ने एक बुरी मिसाल कायम की है. अगर कोई प्राधिकरण संविधान में संशोधन करने की संसद की शक्ति पर सवाल उठाता है, तो यह कहना मुश्किल होगा कि हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने व्याख्यान में कहा कि एक न्यायाधीश की शिल्पकारी संविधान की आत्मा को अक्षुण्ण रखते हुए बदलते समय के साथ संविधान के पाठ की व्याख्या करने में निहित है.
कहा कि हाल के दशकों में नियमों का गला घोंटने, उपभोक्ता कल्याण को बढ़ावा देने और वाणिज्यिक लेनदेन का समर्थन करने के पक्ष में भारत के कानूनी परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है.
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संविधान की मूल संरचना राष्ट्र की एकता पर आधारित है
CJI ने कहा, हमारे संविधान की मूल संरचना ध्रुव तारा की तरह मार्गदर्शन करती है. हमारे संविधान की मूल संरचना या दर्शन संविधान की सर्वोच्चता, कानून का शासन, शक्तियों के पृथक्करण, न्यायिक समीक्षा, धर्मनिरपेक्षता, संघवाद, स्वतंत्रता और व्यक्ति की गरिमा तथा राष्ट्र की एकता एवं अखंडता पर आधारित है.
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उभरती विश्व अर्थव्यवस्था ने राष्ट्रीय सीमाओं को मिटा दिया है
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि उभरती विश्व अर्थव्यवस्था ने राष्ट्रीय सीमाओं को मिटा दिया है और कंपनियां अब सीमा पर नहीं रुकती हैं. उन्होंने कहा कि संविधान सरकार को सामाजिक मांगों को पूरा करने के लिए अपनी कानूनी और आर्थिक नीतियों को बदलने तथा विकसित करने की अनुमति देता है. उन्होंने कहा, हम उस समय से एक लंबा सफर तय कर चुके हैं जब एक आवश्यक फोन प्राप्त करने के लिए आपको एक दशक तक इंतजार करना पड़ता था और कई बार अपनी कार खरीदने में भी अधिक समय लगता था.
हमारे संविधान की एक निश्चित पहचान है
हम पूंजीगत मुद्दों के नियंत्रण के समय से एक लंबा सफर तय कर चुके हैं. समय-समय पर हमें अपने आसपास की दुनिया को रोशन करने के लिए नानी पालकीवाला जैसे लोगों को अपने हाथों में मशाल पकड़ने की आवश्यकता होती है. नानी ने हमें बताया कि हमारे संविधान की एक निश्चित पहचान है जिसे बदला नहीं जा सकता है.