Ranchi: पिछड़ों का सबसे ज्यादा शोषण करने वाली कांग्रेस और जेएमएम उनका हमदर्द बनने की कोशिश कर रही है. ओबीसी आरक्षण के नाम पर हाय-तौबा मचाने वाली कांग्रेस ने ओबीसी को सबसे ज्यादा छला है. वहीं जेएमएम ने पिछड़ों को सबसे ज्यादा बेवकूफ बनाया है, लेकिन आज ये दोनों पार्टियां उनके नाम पर घड़ियाली आंसू बहा रही हैं. यह कहना है बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष और सांसद दीपक प्रकाश का. वे प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे.
दीपक प्रकाश ने कहा कि देश में सबसे ज्यादा शासन करने वाली कांग्रेस को अगर पिछड़ों की इतनी ही चिंता थी तो पिछड़ा आयोग को संवैधानिक दर्जा क्यों नहीं दिया. मोदी सरकार ने आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया. वहीं मेडिकल में पिछड़ों को आरक्षण दिया है. सरकार ने पिछड़ों के लिए 27 फीसदी और आर्थिक रूप से पिछड़ों को 10 फीसदी आरक्षण दिया है.
ओबीसी आरक्षण की दिशा में एक कदम नहीं बढ़ी राज्य सरकार
प्रकाश ने आगे कहा कि सरकार में शामिल तीनों दलों ने घोषणा किया था कि सत्ता में आते ही पहली कैबिनेट की बैठक में आरक्षण बढ़ाकर 27 प्रतिशत किया जाएगा, लेकिन आज दो साल बाद भी इस मामले में सरकार एक कदम आगे नहीं बढ़ा सकी है. उन्होंने कहा कि पिछड़ों के हमदर्द बनने वाले कांग्रेस में कोई पिछड़ा राष्ट्रीय अध्यक्ष क्यों नहीं है. जेएमएम में कोई ओबीसी केंद्रीय अध्यक्ष क्यों नहीं है. असल में इन्हें पिछड़ों की चिंता नहीं है. सिर्फ विधवा विलाप करना है.
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केंद्र के पैसों को उपयोग नहीं कर पाती सरकार
दीपक प्रकाश ने कहा कि केंद्र की योजनाएं राज्य में सरकार धरातल पर उतार नहीं पाती है. राज्य में गरीब कल्याण अन्न योजना में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ है. केंद्र से अच्छी क्वालिटी का चावल आ रहा है, लेकिन यहां मिलावट हो रहा है. वहीं प्रत्येक गरीब परिवार को 5 किलोग्राम अनाज की योजना भी राज्य में फ्लॉप है. गरीबों का पैसा हड़प लिया जा रहा है. लोगों को शुद्ध पेयजल मिले इसलिए केंद्र ने 572 करोड़ रुपये राज्य को भेजा था, लेकिन 134 करोड़ का ही उपयोग हुआ. 492 करोड़ रुपये बच गये.
सरकार के पास न नीति और न नीयत
इसी तरह देवघर में एयरपोर्ट बनकर तैयार है, लेकिन सरकार वहां एप्रोच रोड नहीं बनवा पा रही है. धालभूमगढ़ और हजारीबाग में भी एयरपोर्ट की योजना है, लेकिन राज्य सरकार केंद्र के पैसे से जमीन तक नहीं ले पा रही है. वहीं 2020 में बंद हुए मुसाबनी के सुरदा माइंस को पिछले साल दिसंबर में केंद्र से फॉरेस्ट क्लीयरेंस मिल गया. लेकिन राज्य सरकार फाइल दबाकर बैठ गई. वहीं पलामू एनएच 98 और 75 को फोर लेन बनाने के लिए 1522 करोड़ केंद्र से आ गये, लेकिन सरकार उसका उपयोग नहीं कर पा रही. कलकत्ता-धनबाद 8 लेन सड़क के भी पैसे आ गये हैं, लेकिन टेंडर और जमीन अधिग्रहण की चिंता सरकार ने नहीं की. क्योंकि इस सरकार की न तो नीति है और न नीयत.
झारखंड आंदोलन को कुचलने वालों से साथ मिलकर चल रही सरकार
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हमारी सरकार में प्रति दिन 36.50 किलोमीटर सड़क बन रही है, लेकिन यूपीए की सरकार में प्रतिदिन 11 किमी सड़क बनती थी. वहीं कानून व्यवस्था में भी राज्य ने रिकॉर्ड बनाया है. एनसीआरबी की रिपोर्ट ने पोल खोल दी है. उन्होंने कहा कि यह बड़ा दुर्भाग्य है कि झारखंड आंदोलन को कुचलने वाले और आंदोलनाकारियों को जेल भेजने वालों के साथ जेएमएम सरकार चला रही है.
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