Koderma: झुमरीतिलैया में जैन धर्म का महापर्व 10 लक्षण पर्युषण महापर्व शुक्रवार से प्रारंभ हो गया. झुमरीतिलैया के जैन मंदिरों को इस महापर्व पर प्रकाश और फूलों से सजाया गया. दस दिनों तक लगातार पूजन कार्यक्रम होगा.
विश्व शांति के लिए पूजा करते हैं
जैन धर्म के लोग अपने आत्म कल्याण और विश्व शांति के लिए पूजन, पाठ, व्रत, उपवास, तप और त्याग कर ईश्वर की अराधना करेंगे. पूजन कार्यक्रम में भगवान का मंत्रित जल से अभिषेक और शांति धारा पुरुषों और बच्चों ने केसरिया वस्त्र पहन कर किया. सभी महिलाएं, युवतियां लाल पीला केसरिया परिधान में पूजा विधान कार्यों में लगी रहीं. जैन मंदिर में विराजमान परम विदुषी आर्यका 105 सौभाग्यमति माताजी ने पर्युषण महापर्व पर उत्तम क्षमा धर्म पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि यह पर्व मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने में सहायक होता है. पर्युषण महापर्व भगवान महावीर के मूल 5 सिद्धांतों पर आधारित है. क्षमा वीरो का आभूषण है. जीवन में क्षमा को धारण करके ही विश्व में शांति प्राप्त की जा सकती है.
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क्षमा वह हथियार है जिससे किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है
उन्होंने कहा कि क्षमा वह हथियार है जिसके द्वारा किसी भी प्रकार की हानि नहीं होती है. आपस के दुश्मनी क्षण भर में ही दूर हो जाती है. मन और मस्तिष्क में किसी के लिए किसी भी प्रकार से नीचा दिखाने के विचार नहीं रहते हैं. ना ही किसी के प्रति कटुता रहती है. जैन धर्म में पर्यूषण पर्व के दौरान यह संकल्प लिया जाता है कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में किसी भी जीव को कभी भी किसी प्रकार का कष्ट नहीं पहुंचाएंगे. संसार के समस्त प्राणियों से जाने अनजाने में किए गए गलतियों के लिए क्षमा याचना करेंगे. दस लक्षण पर्व प्रकृति और पर्यावरण से भी जुड़ा हुआ है. मॉनसून के अवसर पर मनाया जाने वाला यह पर्व पूरे समाज को प्रकृति से जुड़ने की सीख देता है. आज के पूजा में मूल नायक पारस नाथ भगवान का प्रथम अभिषेक और शांति धारा करने का सौभाग्य सुरेश कुमार नरेंद्र झांझरी परिवार को मिला.
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