Koderma: बढ़ते सड़क हादसे को देखते हुए कोडरमा में लंबे समय से एक ट्रामा सेंटर की मांग की जाती रही है. लेकिन इस पर अब तक कोई ठोस काम नहीं हो सका है. वैसे साल 2010 में तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. पी मोहन ने ट्रामा सेंटर निर्माण के लिए एक प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला प्रशासन को भेजा था. लेकिन वह फाइल ही गुम हो गई. इससे प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया और काम नहीं हुआ. इस मामले पर डीसी आदित्य रंजन ने कहा कि जब तक ट्रामा सेंटर नहीं बन जाता है तब तक सदर अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड को ट्रामा सेंटर के रूप में विकसित किया गया है. यहां घायलों के इलाज की 24X7 व्यवस्था की गई है. यहां गंभीर रूप से घायलों के इलाज की भी व्यवस्था है. हालांकि यह व्यवस्था कई बार नाकाफी साबित होती है.
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एक आंकड़े के मुताबिक हर साल जिले में सड़क दुर्घटनाओं में 60 लोगों की जान जा रही है. इनमें से कई ऐसे हैं, जिनका तत्काल इलाज नहीं होने से मौत हो गई. देखा जाय तो कोडरमा घाटी से सदर अस्पताल की दूरी तकरीबन 16 किलोमीटर है. वहीं जवाहर घाटी से 25 किलोमीटर है. दोनों घाटी सड़क हादसों के लिए कुख्यात है. जिले में चिह्नित ब्लैक स्पॉट में 10 ब्लैक स्पॉट चिह्नित हैं. जहां पूर्व में सर्वाधिक सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. ब्लैक स्पॉट में सड़क दुर्घटना रोकने के लिए कई उपाय किए गए हैं. इसके लिए सड़क की चौड़ाई बढ़ाई गई है. सुरक्षा को लेकर साइनेज, क्रश बैरियर, रंबल स्ट्रीप, सिग्नल सिस्टम और तीखे घुमाव में मिरर लगाया गया है. चिह्नित ब्लैक स्पॉट में कोडरमा एनएच 31 के मेघातरी, कोडरमा घाटी के नौवां माइल, जमसोती नाला, उरवां मोड़, इंदरवा चौक, सतपुलिया गुमो, डॉ. उर्मिला चौधरी मोड़, डोमचांच-गिरिडीह रोड अंतर्गत नीरू पहाड़ी और पहाड़पुर को शामिल किया गया है. वहीं नौ अतिरिक्त ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए गए हैं. इस पर सुरक्षा के उपाय करने की तैयारी है.
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