Patamda (Mithilesh Tiwary) : पटमदा और बोड़ाम में लोगों ने कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष यानी गुरु पूर्णिमा के अवसर पर नदी में स्नान कर पूजा पाठ किया और दान-पुण्य किया. हांलाकि मंगलवार को चंद्रग्रहण लगने के कारण मंदिरों के कपाट बंद रहे. चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है, जिसके चलते मंदिर सुबह से बंद कर दिए गए थे.
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सूतक काल में कोई शुभ काम नहीं होता
मान्यताओं के अनुसार, सूतक काल को अशुभ काल या दूषित काल माना जाता है. इस दौरान कोई भी मांगलिक कार्य को करना वर्जित होता है. ग्रहण के खत्म होने के कुछ समय बाद सूतक काल समाप्त होता है उसके बाद मांगलिक कार्यों को करने की सलाह दी जाती हैं. जानकारों का मानना है कि सूतक काल में कोई शुभ काम नहीं होता है. चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद ही मंदिरों के कपाट को खोला जाता है और साफ-सफाई के बाद ही पूजा-अर्चना की होती है.