NewDelhi : पेगासस जासूसी मामला फिर चर्चा में है. बता दें कि आज सुप्रीम कोर्ट पेगासस जांच मामले में सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ सुनवाई करेगी. जानकारी के अनुसार एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ SC के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा प्रस्तुत अंतरिम रिपोर्ट पर विचार कर सकती है. सूत्रों के अनुसार जांच समिति अपनी रिपोर्ट दर्ज करने के लिए कोर्ट से और समय मांग सकती है. कमेटी ने 18 अप्रैल को सभी राज्यों के डीजीपी को पत्र लिखकर पूछा था कि क्या उन्होंने इजरायली स्पाइवेयर खरीदा है.
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1400 लोगों के पर्सनल मोबाइल की जासूसी हुई!
सुप्रीम कोर्ट में भी दायर याचिका के अनुसार पेगासस के जरिए 2019 में भारत में कम से कम 1400 लोगों के पर्सनल मोबाइल या सिस्टम की जासूसी हुई है. दावा किया गया है कि इनमें 40 मशहूर पत्रकार, विपक्ष के तीन बड़े नेता, संवैधानिक पद पर आसीन एक VIP, केंद्र सरकार के दो मंत्री, सुरक्षा एजेंसियों के कई आला अफसर, दिग्गज उद्योगपति भी शामिल हैं.
समिति के सामने अब तक वरिष्ठ पत्रकार एन राम, सिद्धार्थ वरदराजन और प्रांजॉय गुहा ठाकुरता समेत 13 लोगों ने अपना पक्ष रखा था. पेगासस सॉफ्टवेयर जासूसी से प्रभावित होने का दावा करने वालों में से दो लोगों ने अपने मोबाइल फोन फॉरेंसिक जांच के लिए कमेटी को सौंपे हैं.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में भी मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा गया है कि भारत सरकार ने 2017 में जब इजराइल से दो अरब डॉलर का सौदा कर मिसाइलें खरीदी थीं तो उसी के साथ पेगासस स्पाई वेयर भी खरीदा था. हालांकि केंद्र सरकार ने इस दावे को संसद और सुप्रीम कोर्ट में सिरे से खारिज कर दिया था.
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पेगासस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में 12 याचिकाएं
पेगासस के कथित अवैध उपयोग की स्वतंत्र जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 12 याचिकाएं दाखिल हुईं थीं. इन याचिकाओं को लेकर कोर्ट ने कहा था,याचिकाकर्ताओं ने कुछ ऐसी बातों को रिकॉर्ड में रखा है जो इस कोर्ट द्वारा विचार करने योग्य हैं. सरकार की ओर से इन तथ्यों का विशेष खंडन नहीं किया गया है. भारत संघ ने अपने हलफनामे में आरोपों से इनकार किया है, जो पर्याप्त नहीं हो सकता है. ऐसी स्थिति में इस मामले को स्वीकार करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है.