NewDelhi : पेगागस जासूसी केस को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी है. याचिका में कहा गया है कि इजराइली स्पायवेयर के जरिए भारतीय नागरिकों की निगरानी की जा रही थी. इसे अपराध करार देते हुए याचिकाकर्ता वकील मनोहर लाल शर्मा ने मांग की है कि कोर्ट की निगरानी में एक समिति बनाकर इसकी जांच कराई जाये. याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और CBI को पक्षकार (पार्टी) बनाने की गुहार लगायी गयी है.
शर्मा ने याचिका में कहा है कि इस तरह किसी नागरिक की जासूसी करना मौलिक अधिकारों का हनन है. कहा कि जासूसी के लिए विदेश स्पायवेयर का उपयोग करना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरनाक है.
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प्राइवेसी का मतलब यह नहीं है कि हम कुछ छुपाना चाहते हैं
याचिकाकर्ता के अनुसार प्राइवेसी का मतलब यह नहीं है कि हम कुछ छुपाना चाहते हैं. प्राइवेसी का मतलब है कि एक व्यक्ति कुछ पल ऐसे माहौल में रहना चाहता है, जहां उसके विचारों पर कोई बाधा न डाले. पेगासस का इस्तेमाल सिर्फ किसी की बातों को सुनने के लिए नहीं किया जाता, बल्कि, इसके जरिए किसी के निजी जीवन से जुड़ी डिजिटल चीजों को भी हासिल किया जा सकता है. कहा गया कि यह सिर्फ फोन का उपयोग करने वाले किसी व्यक्ति के अधिकारों का हनन नहीं है, बल्कि उससे जुड़े उन सभी लोगों के मौलिक अधिकार से भी खिलवाड़ करता है, जो उससे फोन पर बात कर रहे हैं.
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क्या राजनीतिक लाभ के लिए जासूसी जायज है?
याचिकाकर्ता शर्मा ने कहा कि पेगासस के जरिए किसी की जासूसी करना संविधान की कई धाराओं का उल्लंघन है. उनके अनुसार बिना किसी कानूनी मंजूरी के ऐसे सॉफ्टवेयर खरीदना सरकारी पैसे की बर्बादी है. इसी क्रम में याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से सॉफ्टवेयर खरीदने के लिए उपयोग किये गये पैसे के सोर्स की जांच कराने की भी मांग की है. याचिका में पूछा गया है कि क्या संविधान एक प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों को उनके राजनीतिक हितों के लिए भारतीय नागरिकों की जासूसी करने की अनुमति देता है.
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