sanjeet yadav
Palamu : झारखंड के ग्रामीण इलाकों में चिकित्सकों की कमी को देखते हुए सरकार ने मोबाइल एंबुलेंस की शुरुआत की थी. ताकि गरीब, असहाय लोगों की मदद हो सके. लेकिन धीरे- धीरे मोबाइल एंबुलेंस की व्यवस्था धरातल पर नाम मात्र की रह गई है. अगर हम मोबाइल एंबुलेंस की बात करे तो, अभी उसमे सिर्फ लैब की व्यवस्था है. जिले में फिलहाल 5 मोबाइल एंबुलेंस है, जिसमे 3 वाहन बंद पड़े है. जिसके कारण ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा व्यवस्था का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है.
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शुरुआत के दिनों में लोगों को मिलती थी, कई सारी सुविधाएं
बता दें कि जिस समय मोबाइल एंबुलेंस की शुरुआत हुई थी. उस दौरान सुदूर ग्रामीण इलाके के लोगों को इससे काफी लाभ मिलता था. मोबाइल एंबुलेंस आधुनिक सुविधा से सुसज्जित होते थे. इसमें मामूली एक्स-रे से लेकर अल्ट्रासोनोग्राफी की भी व्यवस्था होती थी.वाहन में लेब के साथ जनरेटर भी होते थे. लेकिन धीरे-धीरे ये सारी सुविधाएं खत्म हो गई. मामले को लेकर सिविल सर्जन डॉक्टर विजय सिंह ने बताया कि जिले में पांच वाहन थे. जिसमें एक राज्य द्वारा चलाया जा रहा था, जो अभी कैंसिल हुआ है. उन्होंने बताया कि दो गाड़ी अभी खराब है और दो एनजीओ के द्वारा चलाया जा रहा है. उसमे एक्सरे और अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था नहीं है. उहोंने बताया कि गाड़ी भी पुरानी हो गई है. सरकार से उन्होंने इस योजना को सही तरीके से चलाने की अपील की है.
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