NewDelhi : एक हिंदू संगठन ने सच्चर कमेटी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर सवाल उठाया गया है. कहा गया कि सच्चर कमेटी का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद-77 के उल्लंघन है. सच्चर कमेटी असंवैधानिक और अवैध है क्योंकि यह राष्ट्रपति के आदेश के तहत नहीं है.
इसमें कहा गया है कि अधिसूचना किसी कैबिनेट निर्णय का नतीजा नहीं थी बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की इच्छा पर आधारित थी.
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सच्चर कमेटी 7सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति थी
बता दें कि संस्था सनातन वैदिक धर्म ने कहा है कि मनमोहन सिंह ने अपनी तरफ कमेटी के गठन का आदेश दिया. यह असंवैधानिक है. किसी विशेष धार्मिक समुदाय के लिए इस तरह के आयोग का गठन नहीं किया जा सकता. सच्चर कमेटी 7 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति थी.
इसकी अध्यक्षता दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश राजिंदर सच्चर ने की थी. जान लें कि कमेटी ने भारत में मुसलमानों के समावेशी विकास के लिए सुझाव और समाधान दिये थे. याचिका में कमेटी की रिपोर्ट के अमल पर रोक लगाने की भी मांग की गयी है.
मनमोहन सिंह ने अपनी मर्जी से कमेटी गठन का निर्देश दिया
याचिकाकर्ता एडवोकेट विष्णु शंकर जैन के अनुसार प्रधानमंत्री के कार्यालय से जारी 9 मार्च 2005 की अधिसूचना में कहीं भी उल्लेख नहीं है कि इसे किसी कैबिनेट निर्णय के बाद जारी किया गया. कहा कि मनमोहन सिंह ने अपनी मर्जी से मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति की जांच के लिए कमेटी गठन का निर्देश दिया.
याचिका के अनुसार अनुच्छेद 14 और 15 के आधार पर किसी भी धार्मिक समुदाय के साथ अलग से व्यवहार नहीं किया जा सकता. सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थितियों की जांच के लिए एक आयोग नियुक्त करने की शक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद 340 के तहत भारत के राष्ट्रपति के पास निहित है.
SC-ST कैटेगरी के लोग ज्यादा विपन्न स्थिति में रह रहे हैं
याचिका में कहा गया कि कमेटी खुद भी नहीं समझ पा रही है कि मुस्लिम समुदाय स्कूल के बजाय अपने बच्चों को मदरसे में पढ़ाने में क्यों विश्वास रखता है. ये लोग परिवार नियोजन भी नहीं करते, जिससे परेशानी बढ़ती हैं. याचिका में कहा गया कि SC-ST कैटेगरी के लोग किसी भी धर्म विशेष के लोगों से ज्यादा विपन्न स्थिति में रह रहे हैं.