LagatarDesk : हिंदू पंचांग में पितृपक्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक रहता है. इस बार पितृ पक्ष आज यानी 10 सितंबर से शुरू हो रहा है. जो 25 सितंबर तक चलेगा. हर साल पितृ पक्ष 15 दिनों का होता है. लेकिन इस बार 16 दिनों का होगा. (पढ़ें, ऑस्ट्रेलिया के कैप्टन एरॉन फिंच ने ODI से लिया संन्यास, 11 सितंबर को न्यूजीलैंड के खिलाफ खेलेंगे आखिरी मैच)
पितृपक्ष में पूर्वजों को जल देने की है मान्यता
हिंदू धर्म में पितृपक्ष का काफी महत्व है. पितृपक्ष में पूर्वजों को याद करके श्राद्ध, पिंडदान और तर्णण किया जाता है. पितृपक्ष में अपने पूर्वजों को जल दिया जाता है. यदि पितरों की मृत्यु की तिथि याद है तो तिथि अनुसार पिंडदान करना सबसे उत्तम होता है. हिंदू धर्म में मान्यता है कि पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध करने और उनको जल देने से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है. साथ ही पूर्वजों की आत्माओं को शांति मिलती है.
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पितृपक्ष में बरतें सावधानी
पितृपक्ष में जो पितरों का श्राद्ध कर्म करते हैं, उन्हें कुछ बातों का खास ख्याल और सावधानी बरतनी चाहिए. मान्यता है कि अगर आप ये काम करते हैं तो पूर्वज नाराज हो जाते हैं. जिसका असर आपके जीवन पर पड़ता है. अगर आप पूर्वज को नाराज नहीं करना चाहते हैं तो पितृपक्ष में भूलकर भी ये 5 काम नहीं करना चाहिए.
- बाल-दाढ़ी ना कटवाये : हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक, पितृपक्ष में पुरुषों को बाल और दाढ़ी नहीं कटवाने चाहिए. अगर कोई ऐसा करता है तो पूर्वज नाराज होते हैं.
- मांगलिक कार्य से बचें- पितृ पक्ष में कोई भी मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है. इसलिए इन दिनों में आप कोई भी मांगलिक का शुभ काम करने से बचें. इन दिनों में नये कपड़े भी ना खरीदें.
- तामसी भोजन से बचें और सात्विक भोजन करें- कहा जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान तामसी भोजन और मांसाहार भोजन से बचना चाहिए और सात्विक भोजन ही करना चाहिए. इसके अलावा कुछ मत यह भी कहते हैं कि पितृ पक्ष में बाहर का खाना नहीं खाना चाहिए.
- परफ्यूम या सेंट ना लगाये-कई लोग रोजमर्रा में परफ्यूम या सेंट लगाते हैं. लेकिन पितृ पक्ष में सेंट, इत्र या परफ्यूम लगाने से बचना चाहिए.
- आखिरी दिन करें श्राद्ध- पुराणों में कहा गया है पितृ पक्ष के आखिरी दिन यानी आश्विन माह की अमावस्या को सभी पूर्वजों को ध्यान करके उनका श्राद्ध करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध से वह प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं.
पितृ पक्ष का मुहूर्त
पितृ पक्ष का शुभ समय कुतुप मुहूर्त और रोहिना मुहूर्त होता है. इन दोनों शुभ मुहूर्त के बाद अपराह्न काल समाप्त होने तक भी मुहूर्त चलता है. श्राद्ध के अंत में तर्पण (तर्पण) किया जाता है. जिसमें सूर्य की तरफ मुंह करके घास की कुश (डाव) से देते हैं.
- कुतुप मुहूर्त – दोपहर 12:11 बजे से दोपहर 01:00 बजे तक, अवधि : 49 मिनट
- रोहिना मुहूर्त – दोपहर 01:00 बजे से दोपहर 01:49 बजे तक, अवधि: 49 मिनट
- अपराह्न मुहूर्त – 01:49 अपराह्न से 04:17 अपराह्न, अवधि: 02 घंटे 28 मिनट
श्राद्ध से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब महाभारत युद्ध में महान दाता कर्ण की मृत्यु हुई, तो उसकी आत्मा स्वर्ग चली गयी. जहां उसे भोजन के रूप में सोना और रत्न चढ़ाए गये. हालांकि, कर्ण को खाने के लिए वास्तविक भोजन की आवश्यकता थी और स्वर्ग के स्वामी इंद्र से भोजन के रूप में सोने परोसने का कारण पूछा. इंद्र ने कर्ण से कहा कि उसने जीवन भर सोना दान किया था, लेकिन श्राद्ध में अपने पूर्वजों को कभी भोजन नहीं दिया था. कर्ण ने कहा कि चूंकि वह अपने पूर्वजों से अनभिज्ञ था, इसलिए उसने कभी भी उसकी याद में कुछ भी दान नहीं किया. इसके बाद कर्ण को 15 दिनों की अवधि के लिए पृथ्वी पर लौटने की अनुमति दी गयी. ताकि वह श्राद्ध कर सके और उनकी स्मृति में भोजन और पानी का दान कर सके. इस काल को ही पितृपक्ष के नाम से जाना जाता है.
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