Ranchi : सूबे के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में टपकती छत, दीवारों पर फफूंद, दूषित पानी, हर तरह की गंदगी के बीच भविष्य के चिकित्सक तैयार हो रहे हैं. रिम्स में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे स्टूडेंट्स हॉस्टल में किस अवस्था में रह रहे यह तस्वीरों में देखिए. कहने को परिसर में 7 बॉयज और 7 गर्ल्स हॉस्टल हैं. लेकिन किसी भी हॉस्टल की स्थिति ठीक नहीं है.
इन हॉस्टलों में पिछले कई सालों से मरम्मत का काम नहीं हुआ है. इसका परिणाम यह है कि हॉस्टल की दीवारों में पूरी तरह फफूंद लग चुके हैं. रूम में सीपेज होता है. दीवारें वेतरकीब हो चुकी हैं. छतों में लगे प्लास्टर रूम में गिरते हैं, कई बार इससे एमबीबीएस की छात्राएं घायल भी हो चुकी है. इसके अलावा हॉस्टल में पानी की टंकी तक साफ नहीं की जा रहा है. जिससे पानी का रंग अब पीला और लाल हो चुका है. छात्राओं को गंदा पानी से नहाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
छात्राओं ने डीन वेलफेयर से की है शिकायत
छात्राओं ने कहा कि इस मामले को लेकर डीन वेलफेयर से शिकायत की गई है. पर वे सुनने को तैयार नहीं हैं. उनके पास जाने पर वे शिकायत मेल के माध्यम से करने को कहते है. मोबाइल में व्यवस्था की पोल खोलती तस्वीर भी नहीं देखते. इधर, बॉयज हॉस्टल का हाल भी इसी तरह है. हॉस्टल 2, 3 और 4 की स्थिति बद से बदतर हो चुकी है. भवन की दीवारें थोड़ा बल लगाने पर हिलने लगती है. अगर जल्द मरम्मत नहीं हुआ तो किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है.
पानी खरीदकर पीने को विवश है स्टूडेंट्स, एक भी वाटर फिल्टर काम के नहीं
हॉस्टलों की खराब स्थिति के अलावा यहां पीने का साफ पानी भी नसीब नही होता. छात्र पीने के लिए बाहर से पानी खरीद कर लाते है. पुराने गर्ल्स हॉस्टल की छात्रा ने बताया कि करीब दो- तीन साल से हॉस्टल की टंकी साफ नहीं हुई है. सभी छात्राएं पीने का पानी बाहर से मंगवाती है. प्रतिदिन पानी के सप्लायर हॉस्टल आकर पानी पहुंचाते हैं. बता दें कि रिम्स के सभी हॉस्टल में फिल्टर मौजूद हैं पर अधिकतर खराब हो चुके हैं. फिल्टर को मरम्मत कराने की भी मांग छात्राएं कर चुकी हैं, पर अब तक फिल्टर ठीक नहीं हो पाये है.
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कई सालों से नहीं हुई है हॉस्टल की मरम्मत
हॉटस्ल में रहने वाली छात्राओं ने बताया कि पिछले कई सालों से हॉस्टल की मरम्मत नहीं हुई है. एक छात्रा ने बताया कि पिछले चार सालों से हॉस्टल में रह रही हूं, किसी तरह का कोई मेंटेनेंस नहीं हुआ है. जिस कारण दीवारों से प्लास्टर झड़ने लगे हैं. लेकिन अधिकारी इसे ठीक नहीं कर रहे हैं. सिर्फ बाहर से कभी कभी मामूली मेंटेनेंस वर्क होता है, लेकिन इससे न हॉस्टल की सुंदरता बढ़ी और न ही व्यवस्था ठीक हुई. छात्राओं ने कहा कि रात को हमेशा प्लास्टर गिरते रहते है, साथ ही बारिश कि दिनों में कभी कभी छत से भी पानी टपकता है.
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ढाई साल पहले हुआ था बॉयज हॉस्टल के वाटर फिल्टर की मरम्मत, जबकि दो साल से पड़ा है खराब
रिम्स में बॉयज के लिए 7 हॉस्टल हैं. इसमें से अधिकांश हॉस्टल में वाटर फिल्टर खराब है. स्टूडेंट्स ने बताया कि पिछले करीब ढाई साल पहले मेंटेनेंस के लिए प्रबंधन से गुहार लगाई गई थी. जिसके बाद फिल्टर की सफाई कर उसे ठीक किया गया था. लेकिन छह महीने काम करने के बाद यह फिर से खराब हो गया. पिछले दो सालों से अधिकांश वाटर फिल्टर/टैंक खराब पड़ा है.
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जल्द निकाला जाएगा समस्या का समाधान
वहीं रिम्स के पीआरओ डॉ डीके सिन्हा ने कहा कि स्टूडेंट्स ने हॉस्टल में मरम्मत, पानी और अन्य समस्याओं से प्रबंधन को अवगत कराया है. जल्द इन सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा.
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