Ranchi : झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के महासचिव सह प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि मोदी सरकार संसद द्वारा मंत्रालयों को आवंटित धनराशि का 40 प्रतिशत हड़पकर सीबीसी को समृद्ध करना चाहती है. क्या यह वास्तव में बजट का दुरुपयोग नहीं है? कहा कि संसद भारत सरकार के सभी विभागों और मंत्रालयों के लिए बजट की स्वीकृति देती है. हर एक कार्यक्रम व योजना का एक अलग बजट हेड होता है. लेकिन 19 मई, 2023 को वित्त मंत्रालय ने एक ऐसा कदम उठाया, जैसा पहले कभी नहीं हुआ. उसने आदेश दिया कि विभिन्न विभागों व मंत्रालयों में विज्ञापन और प्रचार के लिए संसद द्वारा स्वीकृत राशि का 40 प्रतिशत केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) के नियंत्रण में रखा जाना चाहिए. सीबीसी सूचना एवं प्रसारण विभाग की एक इकाई है.
सीबीसी पीएम उर्फ प्रचार मंत्री की धुन पर नाच रहा
राकेश सिन्हा ने कहा कि 2023-24 के लिए संसद द्वारा सीबीसी के लिए अनुमोदित बजट 200 करोड़ रुपए है. 19 मई, 2023 के वित्त मंत्रालय के आदेश के बाद से इस वर्ष के लिए सीबीसी का बजट बढ़ कर 750 करोड़ रुपए से अधिक हो जाएगा. स्पष्ट रूप से यह सीबीसी (सीबीआई और ईडी के साथ) 2024 के लिए मोदी सरकार के चुनाव अभियान में मुख्य भूमिका निभाएगा. सीबीसी सरकार का एक मुख्य अंग है, जो सिर्फ पीएम उर्फ प्रचार मंत्री की धुन पर नाच रहा है. लेकिन अब तक इस प्रचार मशीन के पास पर्याप्त धन नहीं था. यह निर्देश संसद के संवैधानिक दायित्वों का एक और उल्लंघन है. यह न केवल महत्वपूर्ण मंत्रालयों की विशेषज्ञता को नजरअंदाज करने वाला है, बल्कि यह संसद द्वारा पारित बजट के महत्व को भी कम करता है.
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