- बोले पीएम- रामानुजाचार्य जी की यह प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक
Hyderabad : पीएम नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देश को 216 फीट ऊंची Statue Of Equality की मूर्ति समर्पित की. यह मूर्ति 11वीं सदी के वैष्णव संत रामानुजाचार्य की है. उनके जन्म हजार वर्ष पूरे हो चुके हैं. ऐसे में पीएम मोदी द्वारा वैष्णव संत को ये बड़ा सम्मान दिया गया है. पहले उन्होंने मंदिर पूजा-अर्जना की. पूरे रीति-रिवाज के साथ सभी परंपराओं को पूरा किया और फिर इस 216 फीट ऊंची मूर्ति को देश के नाम समर्पित किया. इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि जगद्गुरु श्री रामानुजाचार्य जी की इस भव्य विशाल मूर्ति के जरिए भारत मानवीय ऊर्जा और प्रेरणाओं को मूर्त रूप दे रहा है. रामानुजाचार्य जी की यह प्रतिमा उनके ज्ञान, वैराग्य और आदर्शों की प्रतीक है.
हजार करोड़ की लागत से तैयार किया गया है
बताया गया है कि Statue Of Equality बैठी हुई मुद्रा में दूसरी सबसे ऊंची मूर्ति है. इसे हजार करोड़ की लागत से तैयार किया गया है. इसको बनाने में सोना, चांदी, तांबा, पीतल का भरपूर इस्तेमाल किया गया है. मूर्ति के अलावा 63,444 वर्ग फुट क्षेत्र के भूतल में एक विशाल फोटो गैलरी भी तैयार की गयी है, जहां पर संत रामानुजाचार्य का पूरा जीवन देखने को मिलेगा. जानकारी ये भी मिली है कि संत रामानुजाचार्य की मूर्ति के पास में सभी देशों के झंडे लगाये जायेंगे. ऐसा करने के पीछे मंशा यह है कि संत रामानुजाचार्य ने अपने पूरे जीवन में कभी भी जाति-धर्म-रंग के नाम पर कोई भेदभाव नहीं किया था.
प्रतिमा ‘पंचधातु’ से बनी है
यह प्रतिमा ‘पंचधातु’ से बनी है, जिसमें सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का एक संयोजन है. यह 54-फीट ऊंचे आधार भवन पर स्थापित है, जिसका नाम ‘भद्र वेदी’ है. इसमें वैदिक डिजिटल पुस्तकालय और अनुसंधान केंद्र, प्राचीन भारतीय ग्रंथ, एक थिएटर, एक शैक्षिक दीर्घा हैं, जो संत रामानुजाचार्य के कई कार्यों का विवरण प्रस्तुत करते हैं. इस प्रतिमा की परिकल्पना श्री रामानुजाचार्य आश्रम के चिन्ना जीयार स्वामी ने की. प्रधानमंत्री ने 108 दिव्य देशम (सजावटी रूप से नक्काशीदार मंदिर) के समान मनोरंजनों का भी दौरा किया, जो ‘‘स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी’’ के चारों ओर बने हुए हैं.
हम दोहरी रणनीति पर काम कर रहे हैं
इस अनावरण से पहले पीएम मोदी ने पाटनचेरु में ICRISAT की 50वीं वर्षगांठ समारोह में शिरकत की थी. तब पीएम ने कहा था कि हम दोहरी रणनीति पर काम कर रहे हैं. एक तरफ हम वाटर कर्वर्जन के माध्यम से नदियों को जोड़कर एक बड़े क्षेत्र को इरिगेशन के दायरे में ला रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ हम कम सिंचित क्षेत्रों में वाटर यूज इफेसिएंसी बढ़ाने के लिए माइक्रो इरिगेशन पर जोर दे रहे हैं. जानकारी के लिए बता दें कि ICRISAT एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो एशिया और उप-सहारा अफ्रीका में विकास के लिए कृषि अनुसंधान करता है. यह किसानों को बेहतर फसल की किस्में और संकर प्रदान करके मदद करता है
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