NewDelhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरुवार सुबह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्वामी चिद्भवानंदजी की भगवद्गीता का किंडन वर्जन (Kindan version of Bhagavad Gita) लॉन्च किया. इस अवसर पर पीएम मोदी ने आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार रखे. बता दें कि स्वामी चिद्भवानंदजी की भगवद गीता की अब तक 5 लाख कॉपियां बिक चुकी हैं. इसी का जश्न मनाने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया.
पीएम मोदी ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को भगवद गीता जरूर पढ़नी चाहिए. गीता उन विचारों का रूप है जो आपको जीत की तरफ ले जाता है. कहा कि महात्मा गांधी हों या फिर लोक मान्य तिलक, हर कोई गीता से प्रभावित रहा है. भगवद गीता हमें विचार करने और कुछ नया करने की प्रेरणा देती है. उन्होंने कहा कि गीता आपको हर मुश्किलों को पार करने की ताकत देती है. यहां तक कि इस कोरोना के समय भी गीता ने लोगों को इस महामारी से लड़ने की शक्ति दी.
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गीता हमें सोचने पर विवश करती है
पीएम ने कहा कि आज देश में बहुत सारे लोगों ने आत्मनिर्भर बनने का फैसला किया है जो दुनिया को भलाई की तरफ लेकर जायेगा. युवाओं में ई-बुक्स बहुत प्रसिद्ध होती जा रही है. यह प्रयास गीता के विचार से ज्यादा से ज्यादा युवाओं को जोड़ेगा. गीता हमें सोचने पर विवश करती है. यह हमें सवाल करने के लिए प्रेरित करती है. यह बहस को प्रोत्साहित करती है और हमारे दिमाग को खुला रखती है. गीता से प्रेरित कोई भी व्यक्ति हमेशा स्वभाव से दयालु और लोकतांत्रिक होगा.
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स्वामी चिद्भवानंदजी रामकृष्ण आश्रम के संस्थापक हैं
स्वामी चिद्भवानंदजी श्री रामकृष्ण तपोवनम आश्रम के संस्थापक हैं. यह आश्रम तमिलनाडु के थिरुप्पराईथुराई, तिरुचिरापल्ली में है. स्वामी चिद्भवानंद ने करीब 186 किताबें लिखी हैं. इसमें सभी विधाओं की साहित्यिक रचनाएं शामिल हैं. गीता पर किया गया काम भी उनमें से एक है. गीता का उनका तमिल वर्जन 1951 में छपा था. फिर इसे 1965 में अंग्रेजी में भी छापा गया. फिर गीता का तेलगु, उड़िया, जर्मन, जापानी में भी अनुवाद हुआ.
गीता की पांडुलिपि के 11 खंड कर चुके हैं रिलीज
इससे पहले मंगलवार को पीएम मोदी ने श्रीमद्भगवद्गीता के श्लोकों पर 21 विद्वानों की टिप्पणियों वाली पांडुलिपि के 11 खंडों का विमोचन (Release) किया था. इस क्रम में उन्होंने कहा था कि वह इस पुनीत कार्य के लिए प्रयास करने वाले सभी विद्वानों, इससे जुड़े हर व्यक्ति और उनके हर प्रयास को आदरपूर्वक नमन करते हैं.
इन पांडुलिपियों का प्रकाशन धर्मार्थ न्यास ने किया है. डॉ करण सिंह इसके अध्यक्ष हैं. उन्होंने कहा किसी एक ग्रंथ के हर श्लोक पर ये अलग-अलग व्याख्याएं, इतने मनीषियों की अभिव्यक्ति, ये गीता की उस गहराई का प्रतीक है, जिस पर हजारों विद्वानों ने अपना पूरा जीवन दिया है. इस अवसर पर जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और हिंदू धर्मशास्त्र के विद्वान कर्ण सिंह भी उपस्थित थे.
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