New Delhi : भारत के संविधान निर्माताओं ने स्वतंत्रता, समानता और न्याय के सिद्धांतों वाले स्वतंत्र भारत का सपना देखा था. देश के सुप्रीम कोर्ट ने इन सिद्धांतों के संरक्षण का निरंतर प्रयास किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रविवार को यह बात कही. श्री मोदी सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के 75वें वर्ष पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे. इस क्रम में कहा कि देश की पूरी न्याय व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश और मार्गदर्शन पर निर्भर होती है. यह हमारा कर्तव्य है कि इस कोर्ट की पहुंच भारत के अंतिम छोर तक हो और इससे हर भारतीय की आवश्यकता पूरा हो सके. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
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#WATCH | PM Narendra Modi says, “By abolishing the colonial criminal laws, the government started the system of ‘Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita’, Bharatiya Nyay Sanhita and ‘Bharatiya Sakshya Adhiniyam’. Due to these changes, our legal policing and investigative systems have… pic.twitter.com/MROCPiLheY
— ANI (@ANI) January 28, 2024
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#WATCH | Delhi: Chief Justice of India DY Chandrachud says, ” We now have the facility of filing cases at the click of a button. An upgraded version of the Supreme Court’s e-filing platform was launched in May 2023. It offers a host of improved features that have made 24×7 filing… pic.twitter.com/CnanHMzl2E
— ANI (@ANI) January 28, 2024
पीएम मोदी ने हाल ही में संसद से पारित कानूनों का जिक्र किया
इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी, व्यक्तिगत स्वतंत्रता या सामाजिक-न्याय सोशल-जस्टिस, हर बात पर सुप्रीम कोर्ट ने भारत के वाइब्रेंट लोकतंत्र को हमेशा से सशक्त किया है. इस क्रम में पीएम मोदी ने हाल ही में संसद से पारित कानूनों का जिक्र करते हुए कहा कि आज की आर्थिक नीतियां, कल के उज्ज्वल भारत का आधार बनेंगी. कहा कि भारत में आज बनाये जा रहे कानून, कल के उज्ज्वल भारत को और मजबूत करने वाले हैं. उन्होने सशक्त न्याय व्यवस्था को विकसित भारत का प्रमुख आधार बताया. सुप्रीम कोर्ट के डायमंड जुबली कार्यक्रम में भारत के CJI डीवाई चंद्रचूड़, विभिन्न हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सहित अन्य जस्टिस शामिल हुए.
न्यायपालिका अन्याय, अत्याचार और मनमानी के खिलाफ सुरक्षा कवच के रूप में काम करे
कार्यक्रम में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की स्थापना इस आदर्शवाद के साथ की गयी थी कि कानूनों की व्याख्या संवैधानिक न्यायालय द्वारा कानून के शासन के अनुसार की जायेगी, औपनिवेशिक मूल्यों या सामाजिक पदानुक्रमों के अनुसार नहीं. कहा कि यह इस विश्वास की पुष्टि करता है कि न्यायपालिका को अन्याय, अत्याचार और मनमानी के खिलाफ सुरक्षा कवच के रूप में काम करना चाहिए.
सीजेआई ने कहा, लोग बड़ी संख्या में अदालतों तक आते हैं
सीजेआई का कहना था कि लोग बड़ी संख्या में अदालतों तक आते हैं, यह इस बात का परिचायक है कि हम (न्यायपालिका) अपनी भूमिका निभाने में कितने सफल रहे हैं. श्री चंद्रचूड़ ने कहा, अब हमारे पास एक बटन के क्लिक पर मामले दर्ज करने की सुविधा है. जान लें कि सुप्रीम कोर्ट के ई-फाइलिंग प्लेटफॉर्म का अडवांस्ड वर्जन मई 2023 में लॉन्च किया गया था. इससे 24×7 मामलों को दाखिल करना सरल, तेज और सुविधाजनक हो गया है.