Ranchi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनजातीय समुदाय के प्रति प्रेम और ”आदि महोत्सव” कार्यक्रम की शुरूआत को लेकर झामुमो ने सवाल खड़ा किया है. झामुमो ने कहा है कि नई दिल्ली में चल रहे ”आदि महोत्सव” कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने जनजातीय समाज की जल-जंगल-जमीन, इनकी संस्कृति और खान-पान की सराहना की. सवाल उठता है कि जनजातीय समाज के प्रति प्रधानमंत्री का प्रेम आखिर क्यों जागा. अगर पीएम और उनकी पार्टी (भाजपा) का जनजातीय समाज के प्रति प्रेम है, तो बजट सत्र-2023 में प्रधानमंत्री सरना धर्म कोड पास करने की पहल क्यों नहीं करते. साथ ही वे सदन से यह भी कड़ा संदेश दें कि वन संरक्षण नियमावली, 2022 की जगह केंद्र सरकार वन अधिकार अधिनियम- 2006 को मजबूत के साथ लागू करेगी.
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16 साल सत्ता में रही भाजपा पर कभी भी जनजातीय महोत्सव नहीं
पार्टी के हरमू स्थित कैम्प कार्यालय में गुरूवार को झामुमो के वरिष्ठ नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने मीडिया को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि राज्य गठन के 22 साल पूरे हो चुके हैं. इन 22 सालों में 16 साल भाजपा की सत्ता रही, लेकिन कभी भी जनजातीय महोत्सव नहीं मनाया गया. आदिवासी-मूलवासी की हेमंत सरकार ने साल-2022 में झारखंड जनजातीय महोत्सव का आयोजन किया.
सरना धर्म कोड पर क्यों नहीं बोले पीएम – सुप्रियो
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि ”आदि महोत्सव” कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनजातीय समाज को प्रकृति पूजक बताते हैं. लेकिन इन प्रकृति पूजक की लंबी समय से चली आ रही ‘सरना धर्म कोड’ मांग पर कुछ नहीं बोले. बीते 1 दिसंबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर केंद्र के वन संरक्षण नियम 2022 पर अपनी आपत्तियां जतायी थी. हेमंत सोरेन ने दो बातों का जिक्र किया था.
पहला – इसमें स्थानीय ग्राम सभा की शक्तियों और वनों में रहने वाले जनजातीय समुदायों के अधिकारों को कम किया गया.
दूसरा – वन संरक्षण नियमावली- 2022 के तहत लाए गए बदलावों में वन अधिकार अधिनियम-2006 का उल्लंघन किया गया.
झामुमो नेता ने कहा कि ”आदि महोत्सव” कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने इन दोनों बातों का भी जिक्र नहीं किया.
बाजार में जल्द दिखेंगे फॉर्च्यून रागी, फॉर्च्यून बाजरा और फॉर्च्यून ज्वार
जनजातीय समुदाय के उत्पादों की प्रधानमंत्री द्वारा सराहना और लोगों से इसे खरीदने की उनकी पहल पर भी झामुमो नेता ने सवाल उठाया. सुप्रियो ने कहा कि सभी जानते हैं कि देश के फूड ग्रेड मार्केट में आज केवल अडाणी विल्मर (फॉर्च्यून) का हिस्सा सबसे ज्यादा है. अब अडाणी का जनजातीय उत्पादों को बेचने पर ध्यान जाएगा. सुप्रियो भट्टाचार्य ने दावा किया कि बहुत जल्द बाजार में फॉर्च्यून रागी, फॉर्च्यून बाजरा और फॉर्च्यून ज्वार जैसे उत्पाद बिकते दिखेंगे.
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