Ranchi : ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को घर के पास ही रोजगार उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा योजना चलायी जा रही है. योजना के लिए बनी नियमावली में मजदूरों के हित में कई नियम हैं. फायदे की बात की कड़ी में सोमवार को मनरेगा के तहत काम मांगने के बाद तय समय के अंदर काम नहीं मिला तो बेरोजगारी भत्ता के बारे में बताया गया. इसकी अगली कड़ी में समय पर मजदूरी नहीं मिलने पर क्या है नियम यह बताया जा रहा है. मनरेगा के तहत काम करने पर अगर समय पर मजदूरी नहीं मिलता है, तो इसके लिए क्षतिपूर्ति का प्रावधान है.
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क्षतिपूर्ति के लिए हैं ये नियम
मनरेगा की धारा 3 (3) के अनुसार कामगारों (मजदूरों) को साप्ताहिक आधार पर भुगतना करना है. काम करने की तिथी के एक पखवाड़े के अंदर भुगतान करना आवश्यक है. अनूसूची-।। के पारा 30 में भी इसके लिए प्रवाधान किया गया है. नियम के अनुसार यदि मजदूर को भुगतान में किसी प्रकार की देरी होती है, तो इसके लाभ उसे दिया जायेगा. अगर काम करने के 15 दिन बाद भुगतान किया जाता है, तो क्षतिपूर्ति देना होगा.
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क्षतिपूर्ति के लिए अलग से दावा नहीं
मजदूरों को काम करने के बाद कितने दिन में बैंक खाते में राशि पहुंचा इस पर ध्यान देने की जरूरत है. क्षतिपूर्ति के लिए अलग से दावा करने की जरूरत नहीं होती है. मजदूरी भुगतान अधिनियम 1936 के प्रावधानों के अनुसार कामगार को क्षतिपूर्ति की लागत का वहन राज्य सरकार को करना होगा. मजदूरी देने में अगर तय समय से देर हुई है, तो राज्य सरकार को खुद ही क्षतिपूर्ति के साथ मजदूरी की राशि बैंक खाते में जमा कराना होगा. अगर क्षतिपूर्ति की राशि सरकार जमा नहीं करती है, तो मजदूर विभाग को इसके बारे में सूचित कर सकता है. कानून के तहत संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का भी प्रावधान है.
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