Ranchi: अनुसूचित क्षेत्रों में नगर निगम, नगर परिषद और नगर पालिका के चुनाव पर रोक लगाने की मांग आदिवासी बुद्धिजीवी मंच ने की है. मंच की ओर से झारखंड हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई है. इसपर 25 नवंबर 2022 को हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी. लेकिन केस की सुनवाई नहीं हो सकी. आदिवासी बुद्धिजीवी मंच के प्रभाकर कुजूर कहा कि संविधान के 74 वें संशोधन के बाद भाग IX-A को शामिल किया गया है. जिसके अनुच्छेद 243 जेडसी के अनुसार, IX-A के कोई भी प्रावधान अनुसूचित क्षेत्र पर लागू नहीं किया जा सकता है. झारखंड के 24 जिलों में से 12 जिले पूर्व एवं तीन जिला आंशिक रूप से अनुसूचित क्षेत्र के रूप में घोषित किया गया है. अनुच्छेद 243 जेड (1) के मद्देनजर संसद में अब तक पार्ट IX-A के अंतर्गत नगरपालिकाओं के प्रावधानों को विशेष अधिनियम बनाकर अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार नहीं किया है.
इस मामले पर नगर विकास विभाग भारत सरकार द्वारा भी स्पष्टीकरण में कहा गया है कि अनुसूचित क्षेत्रों में नगर निगम,नगरपालिका चुनाव पर संवैधानिक रोक के बावजूद सरकार मानमाने तरीके से काम कर रही है.
झारखंड सरकार ने 19 मई 2021 को झारखंड नगर पालिका अधिनियम 2011 के तहत 5वीं अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार कर दिया है. जिसके कारण अनुसूचित जनजाति की जमीन, भाषा, संस्कृति रीति-रिवाजों पर प्रशासन का नियंत्रण समाप्त हो गया. इस प्रकार अपने संवैधानिक अधिकारों से भी वंचित किया जा रहा है.
झारखंड के आदिवासियों को संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने का काम ब्यरोक्रेट से लेकर राजनेताओं ने किया है. इसमें राजनीतिक दल भी पीछे नहीं रहे हैं. चाहे झारखंड मुक्ति मोर्चा हो या भाजपा, आजसू या फिर अन्य राजनीतिक दल, किसी ने भी संविधान के प्रावधानों को अमल करने की पहल नहीं की है. जिसका नतीजा यह है राज्य के आदिवासी जल–जंगल-जमीन से बेदखल होते जा रहे हैं.