NewDelhi : असंसदीय शब्दों में कुछ नये शब्द शामिल किये जाने को लेकर TMC सांसद महुआ मोइत्रा और शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने मोदी सरकार पर करार तंज कसा है. बता दें कि मोइत्रा और चतुर्वेदी ने आज ट्वीट कर असंसदीय शब्दों की सूची को लेकर केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी पर हल्ला बोला है.
Baith jaiye. Baith Jaiye. Prem se boliye.
New list of unparliamentary words for LS & RS does not include Sanghi.
Basically govt taken all words used by opposition to describe how BJP destroying India & banned them.
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) July 14, 2022
“अगर करें तो करें क्या, बोलें तो बोलें क्या?
सिर्फ़, वाह मोदी जी वाह !”यह पॉप्युलर मीम अब सच्चाई होती नज़र आ रही है! pic.twitter.com/h5nqkVxe32
— Priyanka Chaturvedi🇮🇳 (@priyankac19) July 14, 2022
मोइत्रा ने अपने ट्वीट में लिखा, बैठ जायें, बैठ जाइए, प्रेम से बोलें. लिखा कि लोकसभा और राज्यसभा की नयी असंसदीय शब्दों की सूची में संघी शब्द शामिल नहीं है. मूल रूप से सरकार ने विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किये गये सभी शब्दों के इस्तेमाल को रोकने के लिए यह काम किया है. कैसे भाजपा भारत को नष्ट कर रही है और उन पर प्रतिबंध लगा रही है.
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प्रियंका चतुर्वेदी ने पुराने मीम के जरिए हल्ला बोला
शिवसेना की राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी कहां पीछे रहने वाली थी. प्रियंका ने पुराने मीम का जिक्र कर मोदी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट किया, यह पुराना मीम याद आ गया. अगर करें तो करें क्या, बोलें तो बोलें क्या? सिर्फ वाह मोदी जी वाह! यह मीम अब हकीकत सा लगता है!
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नयी सूची में प्रतिबंधित हुए जुमलाजीवी, जयचंद, भ्रष्ट आदि शब्द
जान लें कि संसद के मानसून सत्र से पूर्व लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्दों को लेकर नयी बुकलेट जारी की है. इसमें जुमलाजीवी, बाल बुद्धि, कोविड स्प्रेडर और स्नूपगेट, यहां तक आमतौर पर इस्तेमाल होने वाले शर्म, दुर्व्यवहार, विश्वासघात, भ्रष्ट, ड्रामा, पाखंड और अक्षम जैसे शब्द भी लोकसभा और राज्यसभा में असंसदीय करार दिये गये हैं. इसके अलावा शकुनि, जयचंद, लॉलीपॉप, चांडाल चौकड़ी, गुल खिलाये, पिट्ठू जैसे आदि शब्दों का भी दोनों सदनों में इस्तेमाल नहीं हो पायेगा
इन शब्दों के प्रयोग को अमर्यादित आचरण माना जायेगा
लोकसभा सचिवालय के अनुसार इन शब्दों के प्रयोग को अमर्यादित आचरण माना जायेगा और यह सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होंगे. लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्द, 2021 शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है, जिन्हें असंसदीय अभिव्यक्ति की श्रेणी में रखा गया है. 18 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले सदस्यों के इस्तेमाल के लिए जारी हुए इस संकलन में ऐसे शब्दों या वाक्यों को शामिल किया गया है, जिन्हें लोकसभा, राज्यसभा और राज्यों के विधानमंडलों में वर्ष 2021 में असंसदीय घोषित किया गया था.
कमीना, काला सत्र, दलाल, खून की खेती हैं असंसदीय शब्द
इसके अनुसार, असंसदीय शब्द, वाक्य या अमर्यादित अभिव्यक्ति की श्रेणी में रखे गये शब्दों में कमीना, काला सत्र, दलाल, खून की खेती, दोहरा चरित्र, निकम्मा, नौटंकी, ढिंढोरा पीटना, बहरी सरकार, चिलम लेना, छोकरा, कोयला चोर, गोरू चोर, चरस पीते हैं, सांड, खालिस्तानी, विनाश पुरुष, तानाशाही, तानाशाह, अराजकतावादी, गद्दार, अपमान, गिरगिट, गूंस, घड़ियाली आंसू, असत्य, अहंकार, काला दिन, काला बाजारी, खरीद फरोख्त, दंगा, दलाल, दादागीरी, बेचारा, संवेदनहीन, सेक्सुअल हेरासमेंट जैसे शब्द भी शामिल हैं.
अध्यक्ष या सभापति के आदेश से बाहर किये जाते हैं शब्द
इस संकलन में अंग्रेजी के कुछ शब्द और वाक्य भी शामिल किये गये है, जिनमें आई विल कर्स यू, बिटेन विद शू, बिट्रेड, ब्लडशेड, चिटेड, शेडिंग क्रोकोडाइल टियर्स, डंकी, गून्स, माफिया, रबिश, स्नेक चार्मर, टाउट, ट्रेटर, विच डाक्टर, डिसग्रेस, ड्रामा, आईवॉश, मिसलीड, लाई और अनट्रू आदि शमिल हैं. बता दें कि संसद के सदस्य कई बार सदन में ऐसे शब्दों, वाक्यों या अभिव्यक्ति का इस्तेमाल किया जाता है, जिन्हें बाद में सभापति या अध्यक्ष के आदेश से रिकॉर्ड या कार्यवाही से बाहर निकाल दिया जाता है.