Vatican city : पोप फ्रांसिस ने रविवार को वेटिकन में तमिलनाडु के देवसहायम पिल्लई को संत घोषित किया है. यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे पहले भारतीय बन गये हैं. जानकारी के अनुसार देवसहायम पिल्लई जन्म से हिंदू थे. 18वीं शताब्दी उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था. संत की उपाधि हासिल करने वाले वह पहले साधारण भारतीय शख्स हैं.
Lazarus Devasahayam, a Hindu-born man from Kanyakumari district in Tamil Nadu who converted to Christianity in the 18th century, is set to become the first Indian layman to be declared a saint on Sunday.https://t.co/s2E4LdbTNK
— Vatican News (@VaticanNews) May 14, 2022
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पिल्लई ने 1745 में ईसाई धर्म अपनाया था
पोप फ्रांसिस ने रविवार को वेटिकन में सेंट पीटर्स बेसिलिका में संतों की सूची में नाम शामिल करते समय छह अन्य लोगों के साथ देवसहायम पिल्लई के भी संत होने की घोषणा की चर्च के अनुसार पिल्लई ने संत बनने की प्रक्रिया पूरी कर ली है.जान लें कि पिल्लई ने 1745 में ईसाई धर्म अपनाया था. इसके बाद उन्हें लाजर नाम दिया गया था. स्थानीय भाषा में लाजर या देवसहायम का अर्थ भगवान मदद के लिए हैं… होता है.
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14 जनवरी 1752 को उन्हें गोली मार दी गयी
वेटिकन द्वारा उनके लिए तैयार एक नोट में कहा गया कि देवसहायम ने ईसाई धर्म का प्रचार करते समय जातिगत मतभेदों को भुलाकर समानता लाने पर जोर दिया. इस क्रम में उन्हें कई तरह की परेशानियां भी झेलनी पड़ीं और 1749 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि बढ़ती मुश्किलों के बीच भी उन्होंने अपना काम जारी रखा और 14 जनवरी 1752 को उन्हें गोली मार दी गयी
तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के कोट्टार से उनके जीवन और आखिरी दिनों के पल जुड़े हुए हैं. देवसहायम को उनके जन्म के 300 साल बाद 2 दिसंबर 2012 को कोट्टार में सौभाग्यशाली घोषित किया गया था. उनका जन्म 23 अप्रैल 1712 को कन्याकुमारी जिले के नट्टलम में एक हिंदू नायर परिवार में हुआ था, जो तत्कालीन त्रावणकोर साम्राज्य का हिस्सा था.
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