Prakash K Ray
साल 2021 में चीन और भारत का द्विपक्षीय व्यापार 125.6 अरब डॉलर के सत्ता और मीडिया रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. बीते साल भारत में चीन से 97.5 अरब डॉलर का आयात हुआ है. साल 2020 की तुलना में 2021 में चीन का भारत से व्यापार 43 प्रतिशत बढ़ा है, जो उसके अन्य साझीदारों से बहुत अधिक है.
आसियान देशों के साथ यह बढ़त 28.1 प्रतिशत, यूरोपीय संघ के साथ 27.5 प्रतिशत तथा अमेरिका के साथ 28.7 प्रतिशत रही. भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 69.4 अरब डॉलर हो गया है. ध्यान रहे, चीनी कस्टम द्वारा जारी इन आंकड़ों में चीन मुख्यभूमि के बाहर से होनेवाले चीनी व्यापार के आंकड़े शामिल नहीं हैं.
मीडिया और कथित विश्लेषकों के तमाम युद्धोन्माद के बावजूद भारत और चीन के बीच व्यापार में बढ़त संतोषजनक है. इससे यह भी इंगित होता है कि भारतीय उद्यमियों और उपभोक्ताओं में चीनी वस्तुओं पर भरोसा बढ़ रहा है. जो लोग यह समझते हैं कि चीन का इरादा भारत को परेशान करना है, उन्हें यह बेहद मामूली बात समझ लेनी चाहिए कि समझदार कारोबारी बेमतलब के पंगे नहीं लेता.
रही बात सीमा से जुड़े विवादों की, तो उसे राजनीतिक व कूटनीतिक बातचीत से ही हल किया जा सकता है और यह बहुत लंबी प्रक्रिया है. इसलिए दोनों देशों को नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति और शांति रखना चाहिए तथा व्यापार, तकनीक और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.
हमें चीन को कहना चाहिए कि वह भारत से हो रही कमाई का एक अच्छा हिस्सा भारत में निवेश करे. भारत को बेल्ट-रोड परियोजना में सीधे तौर पर शामिल होने के बारे में भी सोचना चाहिए. वैसे परोक्ष रूप से हमारा अच्छा-ख़ासा व्यापार इस पहल के माध्यम से होता है.
डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं.