Mithilesh Kumar
Dhanbad : धनबाद (Dhanbad) को ज्यादतर लोग सिर्फ कोयला उद्योग के लिए जानाते हैं. लेकिन मौजूदा परिस्थितियां ऐसी नही हैं. हाल के वर्षों में जिले का बिल्डअप यरिया तेजी से बढ़ा है. कोयला खनन क्षेत्र में विस्तार होने के साथ धनबाद की आबादी भी घनी होती जा रही है. लेकिन इस हिसाब से नागरिक सुविधाओं में इजाफा नहीं हो रहा हैं. इसे देखते हुए धनबाद का प्रतिष्ठित तकनीकी शिक्षण संस्थान आईआईटी आईएसएम शहर के विकास का खाका तैयार कर रहा है. आईआईटी आईएसएम के उप निदेशक धीरज कुमार कहते हैं कि संस्थान खुद के खर्च से अगले दस वर्ष की आबादी को ध्यान में रखकर जियो बेस्ड डेटाबेस तैयार कर रहा है. इसमें आबादी और जरूरतों को ध्यान में रखकर शहर के विकास का मास्टर प्लान बनाया जा रहा है. यह अगले 4 से 5 महीने में तैयार हो जाएगा. संस्थान अपने सीएसआर फंड से इस पर 50 लाख रुपए खर्च करेगा. अभी तक 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, जिस पर तकरीबन 39 लाख रुपए खर्च हुए हैं. बाकी बचे कार्य के लिए पूरे शहर की ड्रोन मैपिंग कराई जाएगी. इस प्रोजेक्ट पर प्रो. गोविंद कुमार विल्लुरी, प्रो. श्रीनिवास पसुपुलिटी व प्रो. शोएब आलम की टीम काम कर रही है.
केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी गाइडलाइन का लिया सहारा
धीरज कुमार ने बताया कि आईआईटी आईएसएम धनबाद का सबसे पुराना तकनीकी संस्थान है. इस लिहाज से शहर के प्रति हमारी भी जिम्मेदारी है. संस्थान के विभाग सोमोटो से धनबाद के विकास पर सुझाव मांगा गया. वहीं, धनबाद के तत्कालीन मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल व उस वक्त के नगर आयुक्त से पहले तैयार मास्टर प्लान का डेटा मांगा गया. इसके बाद स्मार्ट सिटी के लिए तैयार केंद्र सरकार की गाइडलाइन का अध्यन किया. साथ ही नगर निगम के सभी 55 वार्डों का मुआयना किया गया. इसके बाद मास्टर प्लान पर काम शुरू किया गया है.
कृषि से लेकर माइंस, ड्रेनज, ट्रैफिक सिस्टम तक का ख्याल
उप निदेशक ने बताया कि शहर के 55 वार्डों में बिल्डअप यरिया, खाली जमीन, खेती, माइंस यरिया, यातायात के साधन, औद्योगिक क्षेत्र, जल के प्राकृतिक स्रोत, ड्रेनेज सिस्टम, सॉलि़ड-लिक्विड वेस्ट मैनेजमेंट आदि का डेटाबेस तैयार कर लिया गया है. डीसी के सुझाव को भी प्लान में शामिल किया जाएगा. इसे पूरा करने में 4 से 5 महीने लग जाएंगे. इसके बाद इसे आईआईटी के पोर्टल पर अपलोड करेंगे. साथ ही धनबाद नगर निगम को भी उपलब्ध कराएंगे.
मास्टर प्लान से भविष्य का काम होगा आसान
उप निदेशक ने बताया कि नगर निगम क्षेत्र में कितनी खाली जमीन है, जहां नया धनबाद बसाया जा सकता है, इसके आंकड़े जुटाए जा रहे हैं. इससे पार्क, उद्योग या नागरिकों को बसाना आसान हो जाएगा. प्लानिंग में अभी सिर्फ धनबाद नगर निगम के 55 वार्डों को शामिल किया गया है. इसके साथ-साथ 10 किलोमीटर परिधि का बफर जोन भी प्लान में लिया गया है. इसके बाद यदि जिला प्रशासन ने सहयोग मांगा तो ग्रामीण इलाकों में भी संभावनाएं तलाशी जाएंगी.
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